YAGYA KUND MANDAP SIDDHI BY Dr. BHOJRAJ DWIVEDI
Description
पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के बारे में
बीसवीं सदी के चकाचौंध वाले à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤•à¤µà¤¾à¤¦à¥€ यà¥à¤— में हमने करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ के उदà¥à¤à¤Ÿ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ नितà¥à¤¯ अगà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¥‹à¤¤à¥à¤° करà¥à¤® करने वाले बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ का लोप होते देखा। टी. वी. संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ ने चरितà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨à¤¤à¤¾ के साथ निरà¥à¤²à¤œà¥à¤œà¤¤à¤¾ को जनà¥à¤® दिया। केवल अपना हित, मातà¥à¤° निजी सà¥à¤µà¤¾à¤°à¥à¤¥-चिनà¥à¤¤à¤¨ को इस संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में लोक कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ चिनà¥à¤¤à¤¨, परमारà¥à¤¥ साधन, यजà¥à¤ž की महिमा à¤à¤µà¤‚ करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡ के गूढ़ रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को लोप होते देखा। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के लेखक का परिवार पिछली नी वीडियो से करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤£à¥à¤¡à¥€, शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¾à¤²à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ परिवार के गà¥à¤°à¥ पद पर आरà¥à¤¢à¤¼ रहा है। वेद पढ़ना-पढ़ाना, विविध पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अनà¥à¤·à¥à¤ ान करना à¤à¤µà¤‚ यजà¥à¤žà¤•à¤¾à¤°à¥à¤¯ समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨ करना इनकी परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ रही है। विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ लेखक ने बहà¥à¤¤ बड़े-बड़े महापजà¥à¤žà¥‹à¤‚ में à¤à¤¾à¤— लिया à¤à¤µà¤‚ सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° रूप से क महापà¥à¤°à¤œà¥à¤ž à¤à¥€ करके उनका यह अनà¥à¤à¤µ रहा कि दिन-रात करà¥à¤®à¤•à¤¾à¤‚ड कराने वाले दिगज विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ à¤à¥€ यजà¥à¤ž-कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ की सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤¾ को नहीं समà¤à¤¤à¥‡à¥¤ अचà¥à¤›à¥‡-अचà¥à¤›à¥‡ खà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ को यजà¥à¤ž-कà¥à¤£à¥à¤¡
बनाने नहीं आते। को à¤à¤¸à¥‡ जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ à¤à¥€ है जो यहकà¥à¤® की विधि, करà¥à¤®-काणà¥à¤¡ की सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤¾, कà¥à¤£à¥à¤¡ बनाने की तकनीक को जानना चाहते हैं, पर इस विषय में कोई पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• उपलबà¥à¤§ नहीं है। अरà¥à¤¥à¤•à¤¾à¤°à¥€ विदà¥à¤¯à¤¾ होने के कारण विजà¥à¤ž विदà¥à¤µà¤¤à¥ पण à¤à¥€ कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾-कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ (हतूठी) दूसरों को नहीं बताना चाहते। हमने देखा और अनà¥à¤à¤µ किया कि पूरे à¤à¤¾à¤°à¤¤ में इस यजà¥à¤ž-विदà¥à¤¯à¤¾ के विशेष जानकार अंगà¥à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ पर गिने जाने कितने ही अब शेष रह गये हैं पौरोहितà¥à¤¯-करà¥à¤® के चितà¥à¤°à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पर यह नहीं 'पà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¤²-पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•' है, जिसमें परम पूजà¥à¤¯ सरà¥à¤µ शà¥à¤°à¥€ डॉ. दà¥à¤µà¤¿à¤µà¥‡à¤¦à¥€ जी ने अपना परमà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤— जान à¥à¤²à¥‡ इदय से पाठकों के लिठउड़ेल दिया है।
नई पीढ़ी के पूजा-पाठकराने वाले बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£-वरà¥à¤— विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ देवताओं के मणà¥à¤¡à¤² à¤à¤µà¤‚ मांडने के बारे में अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž हैं। सरà¥à¤µà¤¤à¥‹à¤à¤¦à¥à¤°-मणà¥à¤¡à¤², लिंगतोà¤à¤¦à¥à¤°, हरिहरन-मणà¥à¤¡à¤², वरà¥à¤£-मणà¥à¤¡à¤² सही ढंग से बनाना à¤à¤µà¤‚ उनकी पूजा कराना नहीं आता।
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