VYAVASAYA CHAYAN AUR JYOTISH

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Description

अपनी बात

सफल, सुखद जीवन के लिए व्यवसाय का क्या महत्त्व है, या सर्वविदित है। नियति ने हर व्यक्ति के लिए कुछ निर्धारित करके संसार रूपी कर्मभूमि में वितरित किया है जिसे प्रकाश में लाने के लिए ज्योतिष विद्या के रूप में साधन भी प्रदान किया है। ज्योतिष जीवन के हर क्षेत्र की भाति व्यवसाय-चयन में भी मार्गदर्शन करने में पूर्ण सक्षम है। अनजान पथ पर यदि मार्गदर्शक उपलब्ध हो तो राह पूछ कर आगे जाने में ही बुद्धिमत्ता है।

इस प्रयास के पीछे मेरा एकमात्र उद्देश्य यही है कि ज्योतिष के माध्यम से सर्वजनों को उनके व्यवसाय-चयन के बारे में उचित, अनुकूल दिशा-निर्देश प्राप्त हो सके। जन्म, कर्म, नियति के चक्र के फलस्वरूप हर बालक अपने जन्म-समय की ग्रह-स्थिति के अनुसार कुछ विशेष गुण, अवगुण, मनोवृत्तियाँ, रुचियाँ, विशेषतायें, योग्यता लेकर संसार रूपी कर्म भूमि पर अवतरित होता है। यह सारे विशेष गुण-अवगुण, मनोवृत्तियाँ रुचियों, विशेषताएं, योग्यताये मानव की अपनी पहचान होती है तथा सारे जीवन उसके कार्यों, कार्यक्रमों, जीवन-शैली को संचालित करती है। उन्हीं रुचियों, इच्छाओं महत्त्वाकांक्षाओं के आधार पर अभिभावक सन्तान के भविष्य की योजना बनाने लगते हैं।

आयु के स्थान पर आगे बढ़ने पर जीवन का प्रथम प्रश्न शिक्षा, व्यवसाय-चयन उपस्थित होता है। बालक की नैसर्गिक अभिरुचियों के अनुसार उचित शिक्षा व व्यवसाय के क्षेत्र का चयन उसके लिए अधिक सहज व सफलतादायक होगा, फहने की आवश्यकता नहीं परन्तु बहुधा नियति य नैसर्गिकता के संकेत समझे बिना अपनी महत्त्वाकांक्षाओं या सामाजिक चलन के आधार पर शिक्षा व व्यवसाय के क्षेत्र का चयन कर लिया जाता है जिससे कि बाद में अवरोध व असफलताओं का सामना करना होता है।

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