VRAHADA HASTA REKHA BY RADHA KRISHNA SHRIMALI (DP)

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Description

भूमिका

क्या हस्त रेखा विज्ञान है। यह पदार्थ में विज्ञान है? क्या इसके तथ्य जाप-सम्मत है? या, उत्तर यही मिलेगा कि यह विज्ञान है और एक ऐसा विजन मिस मान्य माघे कर्म, भारत रोग, शिक्षा, भूत-भविष्य को खरी-खरो सम्पूर्ण सूचनाएं प्राप्त होती है।

भारत के लिए यह कोई नया अध्याय नहीं । युगों से चिरकाल से, आदि से इसका महत्व आद्योपान्त चला आया है कन्दराओं में बैठे महर्षियों ने इसकी खून की, अनुभव करके परखा तब कैसे प्रकट किया। उन्होंने इतना संवारा कि उस दर्पण में आन हम यथातथ्य सत्य देख सकते है। दर्पण पर झूठ आरोपित नहीं हो सकता। परमात्मा

लीला अपरंपार है, उसने मानव-संरचना कर इतना उलझाया कि आन का विज्ञान उसे सुलझाते सुलझाते थपक ही गया पर पार न पा सका। विज्ञान का प्रयास है भूत से सबक ले, वर्तमान को संवारना व भविष्य के खतरे से बचना, पर जहां शब्द भविष्य आपा कि धकान चढ़ती है। भविष्य है कि गहन और गहनतम गोपनीय, जटिल से जटिल, न समझने वालो गुत्थी, भविष्य के अज्ञात गर्भ में इतने रहस्य है, इतने रहस्य कि विज्ञान दूदते-दृढ़ते हार गया, वहाँ ज्योति ज्योति किरणें फेंकने में समर्थ होता है। आदि काल से अंग-स्फुरण, अंग संचालन, अंग रूप, चाल-दाल, दैनिक चर्या से भविष्य बताते थे जो अंग-विज्ञान बना। आगे चल हाथ का अध्ययन

को

किया जाने लगा, जिसे हस्त सामुद्रिक' कहा गया आज यह इतना बढ़ गया है कि मस्तक रेखा व पाद रेखा से भी भविष्य कथन कहा जाने लगा है। आप, मैं या अन्य और कोई, जो भी इस विषय पर अधिकारपूर्वक कुछ कहना चाहे उसके लिए परम आवश्यक है- संपूर्ण ज्ञान, गंभीर अध्ययन चै् गहरा परिश्रम, अच्छा संग्रह और सतत अध्ययन, मनन, खूब सावधानी, दुद

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