VARSH YOG SAMOOH [KEMRAJ]

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Description

भूमिका

भारत वर्ष की सम्पूर्ण विद्याओं से ज्योति अलौकिक विद्या है, जिसके द्वारा यहाँ के विद्वान भूत, भविष्य और वर्तमान का समाचार यथार्थ जान सकते चे, यह विद्या चन्द्र सूर्य आदि ग्रहों के आधार से है जिस प्रकार चन्द्र, सूर्य, जगत के प्रकाशक हैं इसी प्रकार ज्योतिष विद्या है और चुपी अन्द्रमूर्ययो। থति के अबलम्ब से यह विद्या परमात्मा के नेत्रवत् समानी चाहिये जय इस विद्या का पूर्ण विचार था, तब तक इस देश की बडी उन्नति थी, बहुत स्या, इसके आधार से यहाँक सम्राटों के चरव्ती पुत्र हुए है मुहूर्त मे ही गर्भाधानादि संस्कार तथा सब शुभकार्य नगरनिर्माणादि विजय यात्रा जब तक होती रही तब तक यह देश उन्नति के शिखर पर रहा. कालक्रम से कुल पूज्य आचार्यों चित्त में आलस्य आने स्गा अर्थात् जब क्षत्रिय वैश्य दिने विचार किया कि, सब कृत्य आचार्य आदि द्वारा पूर्ण होते ही हैं, विद्या में परिश्रम क्यों करें यह विचार के जब उन्होंने पढ़ना त्याग दिया था कुलाचार्य भी बजमानों को मूर्ष विचार अत्यन्त विद्या पड़ने से चिरत रहे और केवल कामचलाऊ विद्या पढकर यजमानों का मनोरंजन करने लगे. इस कारण अविद्या के मुहूर्त और फलित में अन्तर पढ़ने लगे जो अच्छे विद्वान् ज्योतिष आदि शास्त्रों के ज्ञाता हैं, उनकी पहुंच उन धनी लोगोंतक वे कुलाचार्य होने नहीं देते. कारण कि, यजमानों मन्मुख तो उन्होंने अपने को पूर्ण विद्वान रक्ता है. विद्वान के जाने से उनकी मालई घुल जाय इस कारण उनको वे प्रवेश नहीं होने देते और इधर वे विद्वान् वृत्ति मर्शित होने से व्रत होते जाते हैं. धन यजमानों का इस विद्या से विश्वास उठा जाता है, जिनपर कुछ आता है वे बताना नहीं चाहते इस कारण विद्या लुप्तप्राय होती चली जाती है यहाँतक कि, यह विद्या भी अलभ्य रत्न हो ही है और ग्रन्थ प्रामः लुप्त होते जाते हैं इस कारण बुद्धिमानों ने यह विचार किया है कि प्राचीन ग्रन्थों का भाषानुवाद करके सर्व साधारण के दृष्टि गोचर किया लाय जिस से प्राचीन ग्रन्थों का प्रचार और उनकी रक्षा हो और उनसे

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