Vaivahik Sukh Mein Shani Pramukh [AP]

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Description

ग्रन्थ परिचय

याहू विलम् विघटन विसंगतियों विकृति विकतयल] विस्तृत विस्तार के परेक में पापा ने गुरु शनि की बेचनामदायक भूमिका के तैशिंाण से प्रा अनभि, ज्योतिष प्रेमियों के समान संवर्धन हेतु प्रवाहिका सुख में शनि प्रमुख नामक शोध संरचना प्रबुद्ध पाठकों और जिज्ञासा छात्रों के समक्ष प्रस्तुत है। वैवाहिक सुख में शमी प्रमुख चार्वाक इस कृति को इसमें समाधोजित साम के

आधार पर अंकित मर ना मे दिबिगित एवं त किया

गया है 1. ने आकृति एवं प्रकृति: 2 शनि की अनुकूलता ही विवाह की सम्पन्न सप्तम भावस्थ शनि वैवाहिक विषमताएँ; 4 शनी-मंगलस्त पगार विसंगति कारक ग्रह योग, , वैवाहिक सुख में शनि प्रभुख् 6. शनि और ववाय 7. यरक एवं आयु विनायक शनि शनि शमन हेतु परिहार विधान 2 बैवासिक विलम्ब का रामाान साधना और सरकार 10 कारों के विवाह में पकवान एवं शान्ति विधान 11, वैवाहिया विधायी एवं विघटन शमन विधान।

विधा काल के सटीक परिछन में शनि की अनुमति स्रोत है। इस रास्य को पूर्व चालीस वर्षों से ज्योतिष शास्त्र के विभिन्न पक्षों पर केन्द्रित वृहद पापन शोष प्रकी के रथ पिता श्रीमती मृदुला त्रिवेदी कथा श्री टी.पी. त्रिवेदी ने वैवाहिक सुख में शनि प्रमुख नामक कृति में प्रस्तुत करके रामस्त ज्योतिष प्रेमियों की चेतना को जागृत करने को सपन, सारस्वत सकल्प को सतर्कता के साथ खाकर रूप रूप में प्रस्तुत किया है। विवाह का परीक्षण या वैवाहिक विलम्ब और मिथुन के समाधान हेतु अनेक अनुभूत परिहार प्राकान भी इस कृति में समाहित किए गये है, जो वाहिक वेदना और विधाय के समाधान हेतु प्रपोजल साधना पथ प्रारूपित करेंगे।

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