UPCHARIYE JYOTISH K VIVIDH AAYAM

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Description

उपचारीय ज्योतिष कौमुदी" नामक अपने अन्य में, जो अल्फा पब्लिकेशन डांस ही प्रकाशित है, मैने उपचारीय ज्योतिष की आधारभूत संरचना से पाठकों क नये इंग से परिचित कराया है। उक्त पुस्तक के सभी छः अव्यायकाफी उपयोगी उपचारीय ज्योतिष के मूलभूत सिद्धान्त बताने के अलावा रत्नों की आवश्यकता सा देवोपासना की उपयोगिता पर जो प्रकाश डाला गया है यह कोई कम उपयोगी स्त्री नहीं है। पराशरीय उपचार विधि के तीन अंग विशेषकर दशोपचार का जे विस्तृत विवरण उक्त पुस्तक में शामिल है यह अनुपमेय है। द्विग्रहपुति के दोषों को दूर करने के उपाय जो उक्त पुस्तक में बताये गये हैं तथा 'लाल किताब' के जो क टेटके दिये गये हैं ये भी कम उपयोगी नहीं है। वर्तमान पुस्तक "उपचारीय ज्योतिष के विविध आयाम' में मैने इस विषय को

का विस्तार से तथा काफी गहराई से आगे बड़ाया है। जह मेरी पुस्तक "उपचारीय ज्योतिष कौमुदी' के छः अध्याय की है वहीं मेरी वर्तमान पुस्तक उपचारीय ज्योतिष के विविध आयाम' में बारह अध्याय है। प्रस्तुत पुस्तक के, प्रथम अध्याय में उपचारीय ज्योतिष के दर्शन पर तथा द्वितीय अध्याय में, उसके उद्भव और विकास पर प्रकाश डाला गया है तृतीय अध्याय में, विभिन्न दृष्टिकोणों से भाग्यशाली फलों के चयन पर विस्तार के साथ प्रकाश डाला गया है। चतुर्य अध्याय में, विशेष योग के सन्दर्भ में जो उपचार-विधि बतायी गयी

है वह काफी महत्वपूर्ण है तथा शोध पूर्ण भी।

पंचम अध्याय में, आर्थिक सम्मान प्राप्त करने, दुःख-दर्द दूर करने तथा

भू-सम्पत्ति की प्राप्ति के जो उपाय बताये गये हैं वे बहुत ही ज्ञानवक तथा उपयोगी है। तृतीय अध्याय में, जितने विस्तार के साथ भाग्यशाली रत्नों के बारे में बताया गया है पाठ अध्याय में, उतने ही विस्तार के साथ व्यावसायिक कठिनाइयों की दूर करने के ज्योतिषीय उपचार बताये गये हैं। सनम अध्याय में, दाम्पत्य सुख बाधा निवारक उपचार पर प्रकाश बाला गया है जो कम महत्वपूर्ण नहीं है। अष्टम अध्याय में, विद्या-बुद्धि सम्बन्धी बाधाओं को दूर करने के उपचार बताये गये हैं। नवम अध्याय में, जबरन धन की प्राप्ति हेतु विशेष उपचार बताये गये हैं। म अध्याय में, संकट-बनानादि दोषोपचार पर विशेष इंग से प्रकाश डाला गया है।

एकादश अध्याय में, रोगोपचार पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है। द्वादश अध्याय

में, दक्षिण भारत के सुप्रसिद्ध अन्य प्रश्न-मार्ग' में चर्चा उपचार-विधि पर प्रकाश डाला गया है। इस पुस्तक को उत्तम ग से प्रकाशित करने हेतु अल्फा पब्लिकेशन धन्यवाद के पाले हैं। सुश्री अरुणा भाटिया को पुस्तक के संपादन, प्रफ रीडिंग के लिए धन्यवाद पर पुस्तक मेरे पुत्र उत्पत्ति तथा पुत्रवधू विनीता को विवाहोपरान्त उनके आगमन समारोह के शुभ अवसर पर भेंट है।

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