SROT MANJARI

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Description

प्राक्कथन

करी गोपालको सय हो। जो अपनी पुरुषारय मानत, अति गुठो ह गड़।

साधन मा पर यम बालयह सवडारही । जो कए लियि गधी दलाल, टिसी नहि कोर॥

दुख-सुख लाभ-अलाभ समुनि म कहि भरत हो रोड़ । सूरदास स्वामी कानामय स्यामचरन मन पोड़ ॥।

सामान्या: मनुष्ण के औषर को कहानी भोग हिन्दी होड़ की कहानी है। यह भी आवश्यक है तो कभी : अनमयका किन्तु इस कहानी का अन्न डाय हो है: ज्योकि यह एक रजोगुण मुक प्रयास को कहारी है : सिम अमा कर ही होता है। तब शुरू होती है शनि की खोज जी एक दौड़ है। यह दुःो मनुष्य अनक उपाप दूदता है और लगने वाले ज्योतिषी के अंगुल में फसा अप समय और भन बाद करता है। जैन भना क मूरदार में कहा करी गोपाल की मय होई। उपाय एक ही है- वह है भगवान की शरण में जाना।

भगवान की शरण के लिये उसकी धना, उसकी आराधना के लिये उसके गुण गान और जस गुण-न से । उसको भक्ति प्राप्त करना और शरणामत होना सुगम मधुर दान हो प्ह शानि के उपाय बताये है। कैसे करें? :

मूरदाम जी

भागच कृपा का अनुभाव करण है। जो ज्योतिषी दुनिया भर के पा और मणि माणिक्य इरा उपाय बताते हैं अधिकांश ठगी होते है, जो ज्योति कम जानते है या बरोध करोब न के बराबर भिन्नु भयो को बताया सो को उगते हैं। ऊपर दी गई गूराम को की कविता में यह बात पर है। ज्योतिष में जब दशा अ ये पार जारी है समय बदल जाता है और कए कम ा उहो जते हैं। कए हुए कर्म में मनुष्य क कभी भाग माता है और न ही भाग सका है। जो ज्योतिषी याकथित साधिक मा आजकल ते हुए ली बाबाओं का जाल सिर्फ ों का जात है। नियम

शद्ध होकर एक आमन विधाकर पाता, दोपहर सध्या या मा रात्रि को निमित रूप से करना मार्ग है। इसलिये महर्षि पराशर ने स्रोत पाठ. पज और चाहिए इसको नित्य नियम कहते है। पाठ का क्रम इस प्रकार है

निष्काम भाव से भजन करना सर्वश्रेष्ठ है। परमपिता परमेश्वर हमारी जरूरतें जानता है और जीवन में जब भी प्राप्त होता है उसको स्वीकार करना ही भक्त का कर्तव्य : है।

किन्तु मनुष्य अधिकांश समय सकाम पूजा हो करता है क्योंकि उसकी इच्छाओं और कामनाओं का भंदार असौमित होता है। मनुष्य अपनी इच्छाओं को जितना कम करता है उतना हो शान्ति का अनुभव करता है। फिर भी . चाहे इच्छा पूर्ति के लिए हो चाहे कष्ट निवारण के लिए। उपासना करना एकमात्र उपाय है जिसके द्वारा हो मनुष्य

1. गणेश जी की उपासना - पितों को दूर करने के लिए।

2 सूर्य भगवान की उपासना - स्वास्थ्य के

लिए। 3. भगवती मां की उपासना - शक्ति के लिए।

4. भगवान शंकर की उपासना - भक्ति के लिए।

5. अब अपने इष्ट की उपासना और प्यान करें।

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