SROT MANJARI
Description
पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤•à¤¥à¤¨
करी गोपालको सय हो। जो अपनी पà¥à¤°à¥à¤·à¤¾à¤°à¤¯ मानत, अति गà¥à¤ ो ह गड़।
साधन मा पर यम बालयह सवडारही । जो कठलियि गधी दलाल, टिसी नहि कोर॥
दà¥à¤–-सà¥à¤– लाà¤-अलाठसमà¥à¤¨à¤¿ म कहि à¤à¤°à¤¤ हो रोड़ । सूरदास सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ कानामय सà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤šà¤°à¤¨ मन पोड़ ॥।
सामानà¥à¤¯à¤¾: मनà¥à¤·à¥à¤£ के औषर को कहानी à¤à¥‹à¤— हिनà¥à¤¦à¥€ होड़ की कहानी है। यह à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤• है तो कà¤à¥€ : अनमयका किनà¥à¤¤à¥ इस कहानी का अनà¥à¤¨ डाय हो है: जà¥à¤¯à¥‹à¤•à¤¿ यह à¤à¤• रजोगà¥à¤£ मà¥à¤• पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ को कहारी है : सिम अमा कर ही होता है। तब शà¥à¤°à¥‚ होती है शनि की खोज जी à¤à¤• दौड़ है। यह दà¥à¤ƒà¥‹ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अनक उपाप दूदता है और लगने वाले जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ के अंगà¥à¤² में फसा अप समय और à¤à¤¨ बाद करता है। जैन à¤à¤¨à¤¾ क मूरदार में कहा करी गोपाल की मय होई। उपाय à¤à¤• ही है- वह है à¤à¤—वान की शरण में जाना।
à¤à¤—वान की शरण के लिये उसकी धना, उसकी आराधना के लिये उसके गà¥à¤£ गान और जस गà¥à¤£-न से । उसको à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करना और शरणामत होना सà¥à¤—म मधà¥à¤° दान हो पà¥à¤¹ शानि के उपाय बताये है। कैसे करें? :
मूरदाम जी
à¤à¤¾à¤—च कृपा का अनà¥à¤à¤¾à¤µ करण है। जो जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¤° के पा और मणि माणिकà¥à¤¯ इरा उपाय बताते हैं अधिकांश ठगी होते है, जो जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ कम जानते है या बरोध करोब न के बराबर à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨à¥ à¤à¤¯à¥‹ को बताया सो को उगते हैं। ऊपर दी गई गूराम को की कविता में यह बात पर है। जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· में जब दशा अ ये पार जारी है समय बदल जाता है और कठकम ा उहो जते हैं। कठहà¥à¤ करà¥à¤® में मनà¥à¤·à¥à¤¯ क कà¤à¥€ à¤à¤¾à¤— माता है और न ही à¤à¤¾à¤— सका है। जो जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ याकथित साधिक मा आजकल ते हà¥à¤ ली बाबाओं का जाल सिरà¥à¤« ों का जात है। नियम
शदà¥à¤§ होकर à¤à¤• आमन विधाकर पाता, दोपहर सधà¥à¤¯à¤¾ या मा रातà¥à¤°à¤¿ को निमित रूप से करना मारà¥à¤— है। इसलिये महरà¥à¤·à¤¿ पराशर ने सà¥à¤°à¥‹à¤¤ पाठ. पज और चाहिठइसको नितà¥à¤¯ नियम कहते है। पाठका कà¥à¤°à¤® इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° है
निषà¥à¤•à¤¾à¤® à¤à¤¾à¤µ से à¤à¤œà¤¨ करना सरà¥à¤µà¤¶à¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ है। परमपिता परमेशà¥à¤µà¤° हमारी जरूरतें जानता है और जीवन में जब à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होता है उसको सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना ही à¤à¤•à¥à¤¤ का करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ : है।
किनà¥à¤¤à¥ मनà¥à¤·à¥à¤¯ अधिकांश समय सकाम पूजा हो करता है कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि उसकी इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं और कामनाओं का à¤à¤‚दार असौमित होता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपनी इचà¥à¤›à¤¾à¤“ं को जितना कम करता है उतना हो शानà¥à¤¤à¤¿ का अनà¥à¤à¤µ करता है। फिर à¤à¥€ . चाहे इचà¥à¤›à¤¾ पूरà¥à¤¤à¤¿ के लिठहो चाहे कषà¥à¤Ÿ निवारण के लिà¤à¥¤ उपासना करना à¤à¤•à¤®à¤¾à¤¤à¥à¤° उपाय है जिसके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ हो मनà¥à¤·à¥à¤¯
1. गणेश जी की उपासना - पितों को दूर करने के लिà¤à¥¤
2 सूरà¥à¤¯ à¤à¤—वान की उपासना - सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ के
लिà¤à¥¤ 3. à¤à¤—वती मां की उपासना - शकà¥à¤¤à¤¿ के लिà¤à¥¤
4. à¤à¤—वान शंकर की उपासना - à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ के लिà¤à¥¤
5. अब अपने इषà¥à¤Ÿ की उपासना और पà¥à¤¯à¤¾à¤¨ करें।
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