Santan Sukh Vichar By Krishna Kumar [AP]

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Description

अपनी बात

"मन चाही नही होत है, हरि चाही तत्काल भागफल और राशिफल के बाद दशाफल लिखने का मन बना रहा था कि मित्र का आग्रह हुआ संतान सुख पर प्रकाश डाला जाए। कुछ परिस्थितिया ऐसी बनी कि मन में सहज जिज्ञासा हुई कि सतानहीनता की पीड़ा के ज्योतिषीय कारण खोजे जाए। () संतान होगी कि नहीं होगी, (i) संतान कब होगी, कैसी होगी, (ii) क्या संतान सुख प्राप्त होगा या नहीं ये कुछ प्रश्न ऐसे हैं, जिन पर विचार करना किसी भी ज्योतिषी के लिए

आवश्यक हो जाता है। इन प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए मानक ग्रंथों से विविध सूत्रों का संकलन किया गया। मित्रो ने कुछ किया एकत्रित की और फिर यह सामूहिक प्रयास कब पुस्तक का आकार पा गया शायद मुझे भी उसका ठीक से ज्ञान

नहीं है।

मेरे गुरु जी श्री जे. एन शर्मा, श्री एम.एन. केदार, श्री रोहित बेदी, श्री रंगाचारी, श्री एम.एस. जोशी, श्री विनय आदित्य, डॉ. निर्मल जिन्दल एवं श्रीकांत गौड़ के कृपापूर्ण मार्गदर्शन के बिना यह काय संभव नहीं था, अत इनका मैं हृदय से आभारी हूँ।

इस पुस्तक को तीन भागों में बाटा जा सकता है।

प्रथम भाग (अध्याय एक से छः तक)-यहा यश और मान बढ़ाने वाले तथा माता-पिता की सेवा करने वाले बच्चों से बात आरंभ कर संतान बाहुल्य, अल्प संतान व सतान सख्या तथा पुत्र-पुत्रियों का विचार हुआ है। जन्म कुंडली में ग्रह स्थिति का विश्लेषण कर सतान सुख की सभावना इस खड का मुख्य विषय है।

द्वितीय भाग (अध्याय सात से अध्याय दस तक)-सतान प्राप्ति के समय में दशा और गोचर की भूमिका, गर्भपात में अनिष्ट ग्रहों का प्रभाव,

 

की प्रकृति व स्वभाव दोष में को ग नप । (संतानहीनता) दोष के प्रमुख कारणों पर र्चा इस खंड का विष तृतीय भाग (अध्याय ग्यारह से तेरह तक)-भाग्य का नियंत्रण सुख सम्मान की वृद्धि ही ज्योतिष ज्ञान का एकाकी लक्ष्य है। अच्छी संतान से पाए इसके लिए मुहूर्त विचार तथा मंत्र व उपासना पर चर्चा इस खह की विषयवस्तु है।

निश्चय ही मेरी अज्ञानता अथवा प्रमाद रो कुछ त्रुटि भी अवश्य सी होगी। आशा है विज्ञ पाठक उन्हें स्वयं सुधार कर प्रशासन को सूचित करेंगे जिससे अगले संस्करण को और अधिक सुन्दर व उपयोगी बनाया राके । इसमें श्रेष्ठता का श्रेय प्राध्य ऋषि मुनियों को तथा ज्योतिष शिक्षा के प्रसार में निस्वार्थ भाव से लगे पूज्य गुरु नाम को दिया जाना चाहिए।

अपने मित्र, पत्र, ज्योतिष प्रेमी बहुओं का स्नेहपूर्ण सहयोग इस पुस्तक की प्राण-शक्ति है। विविध स्रोतों से सामग्री का सकलन, चयन और

सज्जा सभी कुछ तो इनकी कृपा से सभव हुआ है आशा है पाठकगण इस कृति को उपयोगी और लाभप्रद पाएंगे।

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