Sanatan Pooja Vidhi By Dr. Bhojraj Dwivedi [DP]

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[12:51, 10/10/2020] Raahul Lakhera: विषय सूची

आवश्यक जानकारी (Sanatan Rules to be followed) प्रतिदिन कर्म (Daily Doings)..

प्रातः स्मरणीय श्लोक (Morning Recital),

1.

3.

4. पूजन विधि (Pujan Vidhi) 5. पूजन सामी (Poojan Samagree)..

6. नित्य पूजा विधि (Daily Pooja Vidhi)

8.

9.

z fafa (संध्या विधि) अर्घ्य व पूजन (Sun Worship) ...

सूर्य

गायत्री पूजा विधि (Gaytri Pooja Vidhi).

10. विविध देव प्रार्थना (Prarthana).

11. शिव पूजन (Shiv Poojan)

12. दुर्गा पूजा (Durga Pooja),

13. श्री महालक्ष्मी पूजन (Shri Mahalaxmi Poojan),

14. महाकाली पूजन (Mahakali Poojan)

15. महासरस्वती पूजन (Mahasaraswati

Poojan)

16. वैभव लक्ष्मी पूजन (Vaibhav Laxmi Pujan) ... 17. श्री राम पूजा (Shri Ram pooja),

18. हनुमान पूजन (Hanuman Poojan) 19. नृसिंह पूजा (Narsingh Pooja)

20. श्री कृष्ण पूजा (Shri Krishna Pooja)

21. वट सावित्री पूजा (Vat Savitri Pooja) 22. भैरव उपासना (Bhairav Pooja)

23. मंगला गौरी पूजन (Mangal Gauri Pooja)

24.

बगलामुखी पूजा (Baglamukhi Poojan) 25. अक्षय तृतीया पूजन (Akshya Tritiya

Pooja).

26. कुबेर पूजा (Kuber Pooja) 27. देहली विनायक पूजन (Vinayak Poojan)
[12:52, 10/10/2020] Raahul Lakhera: दो शब्द

मनुष्य किसी न किसी रूप में ईश्वर की सत्ता में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सप से विश्वास अखाड़ा या विपरीत परिस्थितियों में ईश्वर स्मरण और विविध प्रकार के पार्मिक उपासना-अनुन भी करता है। प्रत्येक धर्म सम्प्रदाय में ईश्वर को प्रसन्न करने की अलग-अलग पद्धतिय प्रार्थनाएं हैं और विधि-विधान है। हिन्दू सनातन धर्म विश्व में प्रथम सभी धर्म-सम्प्रदायों में सबसे प्राचीन है। सनातन

१ जून आदि और अनन्त जिस प्रकार ईश्वर अनादि और अनन्त है। उसी प्रकार सनातन भी

और अनंत है। श्री राम और कृष्ण की सत्ता के पहले भी सनातन धर्म वियमान था। भगवान

के चौबीस अवतारों के पहले भी और वेद वाणी के प्रकट होने के पहले भी सनातन यर्म

में था, अतः कोई भी व्यक्ति सनातन धर्म कब प्रारंभ हुआ, किसने प्रारम्भ किया? इसका प्रवर्तक बौन या इसकी सही तारीख-तिथि नहीं बता सकता! संसार में अमित ने भी मत-मतान्तर, धर्म-सम्प्रदाय है उनके प्रवर्तक हैं, जन्मदाता हैं उसे प्रारम्भ होने की तारीख एवं आना (समाप्त) होने की घोषणा भी है। जबकि हिन्दू सनातन धर्म आि और अन्त से रहित है कोई व्यक्ति विशेष इसका प्रचारक, प्रवर्तक नहीं रहा अताः इसकी श्रेष्ठता, प्राचीनता एवं सार्वभौमिकता स्वपन ही स्वतः सिद्ध है।

वैसे तो भगवान भाव और भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं फिर भी ईश्वरीय शक्ति, प्राकृतिक सत्त कुछ नियमों से बंधी हुई है। सार्थक देवपूजा तभी सफल सिद्ध होती है। जब का भक्ति भाव के सत्व साथ शास्त्रोक्त विधि-विधान एवं नियम से की जाप अतः सनातन पूजा विधि क्रम को प्रारम्भ करने के पूर्व कुछ विशिष्ट जानकारियां सनातन धर्म प्रेमी सज्जनों हेतु प्रकाशित की जा रही है। ताकि हिन्दू सनातन नियमों के बारे में सही जानकारी सबको तो सके। पूजा-पाठ करते समय हमें किन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इस पर कोई पुस्तक स्वतंत्र रूप से नहीं मिलती।

सितम्बर 2001 को 108 विद्वानों को लेकर मारीशस आया था। यहाँ महात्मा गांधी सभागार में वास्तु शास्त्र, ज्योतिष, आयुर्वेद और मंत्र-तंत्र पर बड़ा भारी ऐतिहासिक अन्तर्राष्ट्र सम्मेलन मोगा (मॉरीशस) में किया। उस समय मुझे यहाँ के मंत्रियों, राजनैतिक व्यक्तियों, हिन्दू सनातन धर्म एवं आर्य समाज के अनेक विद्वानों ने आग्रह किया कि एकदम सरल भाषा में व ग के लिए, खासकर जो संस्कृत एवं क्लिष्ट हिन्दी नहीं पढ़ पाते, उनको ध्यान में रखक "अन्नातन पूजा विधि" पर एक पुस्तक लिया। इन सभी थर्मानुराणी सम्नों की पुरजोर माण के न में रखकर यह लघु पुस्तिका लिखी जा रही है। जिसमें मंत्रों के अर्थ समझाने की चेष्ट गई है तथा उच्चारण की सुविधा हेतु रोमन अंग्रेजी का प्रयोग भी किया गया है।

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