Ratna Parichay [HINDI] By H. C. Vidyalankar & J N Bhasin [RP]
Description
दो शबà¥à¤¦
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¤¾ पाठकों के हाथों में समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ इसके समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में दो शबà¥à¤¦ कहना à¤à¥€ उचित होगा पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• की सामगà¥à¤°à¥€ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤, अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ और हिनà¥à¤¦à¥€ के पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• तया आधà¥à¤¨à¤¿à¤•à¤¤à¤® गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ से ली गई है। जिन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ से सामगà¥à¤°à¥€ ली गई है वे जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·, चिकितà¥à¤¸à¤¾, खनिज-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ तथा रमन-विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ से समà¥à¤¬à¤¦à¥à¤§ हैं। नवीनतम अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€-हिनà¥à¤¦à¥€ के विशà¥à¤µà¤•à¥‹à¤·à¥‹à¤‚ का à¤à¥€ उपयोग किया गया है। अà¤à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ यह है कि रतà¥à¤¨à¥‹à¤‚ के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥à¤“ं की जà¥à¤žà¤¾à¤¨-पिपासा की तृपà¥à¤¤à¤¿ के लिठयथासमà¥à¤à¤µ सà¥à¤¶à¥€à¤¤à¤² और सà¥à¤®à¤§à¥à¤°, पà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¦ पेय जà¥à¤Ÿà¤¾à¤¨à¥‡ का हल किया गया है और साथ ही वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤·à¤¾ के रहसà¥à¤¯ को समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठसà¥à¤¬à¥‹à¤§ परनà¥à¤¤à¥ साथ ही वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤·à¤¾ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया गया है आशा है कि पाठक इसका सदà¥à¤ªà¤¯à¥‹à¤— कर सकेंगे।
हम उन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ लेखकों तथा सहायकों के आà¤à¤¾à¤°à¥€ हैं कि जिनकी रचनाओं से यह सामगà¥à¤°à¥€ ली गई है, यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ सब सà¥à¤¥à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ पर सबका नाम लेना समà¥à¤à¤µ नहीं है। नवीन संसà¥à¤•à¤°à¤£ के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में
पाठकों के हाथ में इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का नवीन संसà¥à¤•à¤°à¤£ देते हà¥à¤ हमें अपार हरà¥à¤· हो रहा है। यदि कà¥à¤› तà¥à¤°à¥à¤Ÿà¤¿ रह गई हो तो, कृपया पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤• को सूचित करें हम आà¤à¤¾à¤°à¥€ होंगे।
-संगृहीता लेखक
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