PRANURJA UPCHAAR

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Description

अनुक्रम

शक्ति

प्राण ऊर्जा शेषशायी पद्मनाभ विष्णु आहार

प्राणवायु तया शरीरस्थ चा

प्रमुख 11 चक

छोटे चक्र

श्वसन-क्रिया स्वतः ऊर्जा

रोग : क्या, क्यों, कैसे? मन : सोच चिंतन नजरिया

आभामण्डलों की जांच करना आभामंडल ऊर्जा-शरीर की सफाई

ऊर्जा-क्रिया एनर्जाइजिंग प्राणशक्ति वृद्धि की अन्य विधियां

प्राणशक्ति द्वारा स्कैनिंग, स्वीपिंग व ऊर्जा चक्रों की घूर्णन गति आवर्तन

ऊर्जन की अन्य विधियां व पदार्थ अर्जन

दूरस्थ-प्राण उपचार

स्व-उपचार पद्धतियां हृदय ध्यान-चिंतन

हृदय-चक्र व क्राऊन-चक्र को सक्रिय करना (द्वि हृदय ध्यान-चिंतन की विधि)

योग व ध्यान-चिंतन की उन्नत विधियां सामान्य रोगों में उपचार निर्देश

कुछ अपेक्षाकृत गंभीर रोगों में उपचार

 

शक्ति के बिना कुछ भी सम्भव नहीं। शक्ति ही आदमी को देवता और देवता को भगवान बनाती है। शक्ति की ही पुराणों में देवी के रूप में उपासना की गई है ज्ञान, क्रिया और संकल्प ये तीन मूल शक्तियां (ब्रह्मा, विष्णु, शिव) हैं। संकल्प शक्ति ही यवार्य में सृष्टि व सब कार्यों का मूल आधार है। ऊर्जा भी संकल्प (विचार/भाव) का ही अनुसरण करती है। अतः संकल्प के बल पर ऊर्जा का आदान-प्रदान व स्थानांतरण सम्भव होता है।

मृत्यु, रोग, दुर्बलता, संक्रमण, विकार, व्याधि आदि का मूल कारण वास्तव में शरीर में प्राणशक्ति का सर्वे अभाव या न्यून हो जाना ही है। (सर्वथा अभाव से मृत्यु है।) प्राणशक्ति जितनी कम/निर्बल/ दूषित होगी उतने ही गम्भीर रोग/व्यास/कष्ट/ संक्रमण आदि सम्भव होंगे।

ऐसे में प्राण-ऊर्जा उपचार प्रणाली द्वारा रोगी की प्राण शक्ति व आभामण्डल (AURA) को शुद्ध करके संतुलित स्थिति में (घटा-बढ़ा कर) लाया जाता है। यह एक वैज्ञानिक, प्रभावी तथा सूक्ष्म उपचार प्रणाली है, जो सर्वे निरापद है।

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