Phalit Vikas by Dr. Suresh Chandra Mishra [RP]

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[14:49, 10/8/2020] Raahul Lakhera: एक दृष्टि में

प्रसिद्ध, बहुप्रशंसित, प्राचीन, मौलिक रचना। जन्मपत्री निर्माण की वास्तविक भारतीय पद्धति । दशवर्गों की शुद्ध व ऋषि प्रोक्त विधि की खोज। ग्रहों के उच्च-नीच में प्रचलित भ्रम व निराकरण। फलित विचार के गूढ़, अनुभव व सटीक नियम। भावफल (शिवप्रोक्त) के प्रायः 300 नये संग्रह श्लोक। दशाफल के पाराशरीय नियमों की परीक्षा। जैमिनीय व पाराशर नियमों का समन्वय । विविध वास्तव कुण्डली संग्रह। दाम्पत्य सुख, ग्रहों की भाषा।

मेलापक की आवश्यकता व प्रकार। विविध प्रश्नों का कुण्डली मिलान । 36 गुण-45 गुण-55 गुण मेलापक। अनेक अल्पप्रचलित मिलान पद्धतियां बहूपयोगी, नीति व संग्रहणीय।
[14:49, 10/8/2020] Raahul Lakhera: विषय-सूची

प्रथम भाग

अवतरणिका सम्न, साधन, अयनांश, उदाहरण, विविध प्रदेशों की कुंडलियां, उत्तर भारतीय, उड़िया, मैथिली, बंगीय दक्षिण-भारतीय कुण्डली लेखन। विंशोत्तरी दशा सपन। अन्तर्दशा, प्रत्यंतर दशा, सूक्ष्म व प्राण दशा, दशा भुक्त भोग्य ज्ञान की कई पद्धतियां ।

भाव साधन, शुद्ध चलित चक्र निर्माण, दशवर्ग की शुद्ध रीति, होरा, द्रेष्काण, सप्तमांश, नवांश, दशमांश, षोडशांश, नवांश, षष्ट्यंश के बुद्धि चक्र, पारिजातादिवर्ग, पंचधा मैत्री, ग्रहों की उच्च नीचादि शुख व्यवस्था।

रामस्वरूप, ग्रह स्वरूप, चरकारक निर्णय, ग्रहदृष्टि, बालारिष्ट योग, मातृकष्ट योग, सूर्यादि ग्रहों का भावाज फल, भाव विचार, शत्रु राशि निर्णय, ग्रहों का भाव फल देने का प्रकार, राशि-ग्रहों का वर्ण, दिशा, अरिष्ट का विशेष विचार, विशेष बालारिष्ट योग, अरिष्ट भंग विचार, परजात योग, शरीर चिन्ह, शुभ योग।

भागफल विधि (शिवप्रोक्त), द्वादश भावों का क्रमशः विचार, मूल श्लोक व अर्थ, गवेषणा, आयु विचार, सम्बन्ध विचार सामान्य योग विचार, प्रकारान्तर से विशेष योग, राशि दृष्टि विचार, विशेष श्रीमन्त योग, बाधास्थान विचार।

 

दशा गोचर फल विचार, संग्रह श्लोक, श्लोकार्थ ग्रन्धकार कृत गवणा, ग्रहों का स्वाभाविक गुण (पाराशरीय दशा का फल नियम) सम्बन्धी व सघर्मी की दशा में देश का फल, शनि-शुक्र का विशेष स्वभाव, राहु-केतु की भाग्य-विधायकता, भावेशानुसार दशाफल व्यवस्था। उदाहरणार्थ कुण्डली संग्रह, ज्योतिषी की कुण्डली, लखपति-सयः विधवा कुण्डली, गूंगे व अविवाहित की कुंडलियां, उपन्यासकार देवकीनन्दन खत्री, बहु भाषाविद् व वेद वेदांग की कुण्डली, एक बांझ स्त्री की कुण्डली, महात्मा गांधी व पं. मदनमोहन मालवीय की कुण्डली।

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