Phalit jyotish me janm ke phal [RP] HINDI

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Description

प्रस्तावना

संस्कृत एवम् हिन्दी में भारतीय ज्योतिष पर अनेकों किताबें हैं इन पुस्तकों की नींव पर ही वैदिक ज्योतिष आधारित है। बिना इनके अध्ययन के और इनके गुह्य सिद्धान्तों को समझे इस विषय को ठीक से समझना प्रायः असम्भव है। इस विषय को ठीक से समझना इन्हीं ग्रन्थों पर निर्भर करता है। इन ग्रन्थों में कितने ही प्राचीन ऋषियों की कृतियाँ हैं जिनकी तुलना आधुनिक पुस्तकों से नहीं की जा सकती है आधुनिक लेखकों की तुलना इन सिद्ध ऋषियों से करना निरर्थक है। ऐसी परिस्थिति में मेरा इस पुस्तक को लिखना निरर्थक कहा जा सकता है।

मेरी यह धारणा है कि इस पुस्तक के प्रकाशन से मैंने प्राचीन भारतीय ज्योतिष को परिपुष्ट करने की चेष्टा की है। 'फलित ज्योतिष में ग्रहों के फल' पाठकों को विशेष रूप से प्रिय लगा। परन्तु प्रत्येक ग्रह का फल व्यक्ति विशेष के लिए उसकी लग्न-स्थिति पर विशेष निर्भर करता है। इन दोनों किताबों को एक दूसरे का पूरक ही समझना चाहिए।

प्रत्येक कुण्डली में लग्न की विशेष महत्ता है इसी के आधार पर सभी ग्रहों का फल और उनके द्वारा संचालित शक्ति स्रोतों का अनुमान लगाया जाता है। इस ज्ञान के आधार पर व्यक्ति विशेष अपने जीवन को दैवी योजना के अनुसार ढाल सकता है और दुःखद घटनाओं को धैर्यपूर्वक सहन कर सकता है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में अनेक कष्टकारी समस्याएं आती हैं। इन परिस्थितियों से होकर व्यक्ति विशेष अपने निर्दिष्ट लक्ष्य की ओर अग्रसर होता है। परमात्मा की सहृदयता एवम् दया में विश्वास मनुष्य को संकट के समय विशेष भरोसा देता है। दुःखद घटनाओं को पार कर लेने पर ही मनुष्य को अपने उज्ज्वल भविष्य का आभास मिलता है प्रत्येक कष्टकारी समस्या व्यक्ति विशेष के अपने पूर्व कर्मों का ही प्रतिफल होता है जिसका अनुमान  मनुष्य की कुंडली से किया जाता है। अपनी कुंडली के द्वारा परमात्मा का निदान ठीक से समझ लेने पर मनुष्य अपने आत्मिक विकास के सोपान पर विश्वासपूर्वक चढ़ सकता है।

प्रत्येक व्यक्ति के लिए उसका कर्म सर्वोपरि होता है। सही कर्मों का निर्धारण धार्मिक सिद्धांतों के आधार पर किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति विशेष अपने पूर्व कर्मों द्वारा संचालित शक्ति स्रोतों का अनुमान ही लगा सकता है। इसके अनुसार अपने दैनिक जीवन को नियन्त्रित करना मनुष्य की स्वेच्छा पर निर्भर करता है। ज्योतिष के ज्ञान का एक मुख्य उद्देश्य पूर्व कर्मों के प्रतिफल को जानकर अपने जीवन को धार्मिक मार्ग पर ले जाना है। लग्न विचार से मनुष्य के व्यक्तित्व पर पड़ने वाले अनेक प्रभावों का ज्ञान होता है। उन्हें नियन्त्रित कर मनुष्य अपने जीवन को सुखमय बना सकता है। इसी उद्देश्य से इस पुस्तक का प्रकाशन किया गया है यदि पाठकगण ऐसा करने में सफल हो सके. तब मैं अपने को कृतार्थ तथा सफल समझूगा। पाठकों द्वारा 'फलित ज्योतिष में ग्रहों के प्रभाव' रोचक और लाभप्रद पाये जाने के फलस्वरूप मुझे विशेष प्रोत्साहन मिला है। रंजन पब्लिकेशन के संपादकीय विभाग की सहायता से मेरा कार्य बहुत सहल हो सका है। मेरी व्यक्तिगत अस्वस्थता के होते हुए भी उन लोगों ने इस किताब के प्रकाशन में बड़ी सहायता की है। उन सहायकों का मैं अति आभारी हूँ। यदि पाठकगण इस पुस्तक को लाभप्रद अनुभव करें, तो मैं अपने को कृतकृत्य समझेंगा।

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