Phaladeepika [Hindi] Commentary by Dr Suresh Chandra Mishra [RP]
Description
ग्रन्थ-परिचय
प्रस्तुत ग्रंथ 'फलदीपिका' लगभग 400 वर्ष पूर्व दक्षिण भारत में योगी प्रवर श्री मन्त्रेश्वर द्वारा लिखा गया। यह फलदीपिका फलित शास्त्र की वास्तव में दीपिका ही है। बड़े ग्रंथों को पढ़ने के साथ-साथ इस ग्रंथ रल से फलादेश के नए व अनुभव सिद्धान्त ज्ञात होते हैं तथा शास्त्र रक्षा का फल प्राप्त होता है।
विशेष जो आपको मिलेगा
अनेक नए फलित सिद्धान्त : अनुभव में खरे। लग्न से भी गोचर, भारतीय नियम। दशाफल व गोचर में अनूठा समन्वय। अचूक फलादेश। जन्म समय कौन सा लें? निश्चित मत। भाव स्पष्ट व चलित की भारतीय पद्धति । दक्षिण भारतीय आयु साधन विधियाँ। राशि व नक्षत्र के अनोखे नियम : अन्यत्र नहीं।
और भी बहुत कुछ नया, सटीक व अनोखा।
बृहत्पाराशर, बृहज्जातक, 6. सारावली, जातक पारिजात के साथ-साथ अनिवार्य पाठ्य पुस्तक, अनुभव में खरी
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