Parinay Nirnay Vaivahik Visangatiya Jyotishiya Sandarbh By Mrudula Trivedi [AP]

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Description

अनुक्रमणिका

विवाह विच्छेद : काल परिज्ञान

निष्कर्ष

वैधव्य का करुण क्रंदन ग्रहों का स्पन्दन

व्रत विधान : वैवाहिक विलम्ब, विधान, वैधव्य एवं

विच्छेद का सुगम समाधान

31 व्रत का तत्त्वार्थ

5.2 व्रत एवं उपवास के पार्थक्य बिन्दु

3.3 तिथि आदि का निर्णय

5.4 ग्राम के अधिकारी: ज्ञातव्य

3.5 ध्यातव्य बिन्दु

3.6 व्रत उद्यापन के निर्देश

3.7 महत्वपूर्ण बिन्दु

3.8 सातों वारों के व्रत का वृत्तान्त एवं विधान

1. रविवार सूर्य व्रत

आशादित्य व्रत का वृत्तान्त एवं विधान

रामफल व्रत का वृत्तान्त एवं विधान

सोमवार के व्रत का वृत्तान्त एवं विधान एकभुक्त सोमवार व्रत का वृतांत एवं विधान

अध्याय-1

अध्याय-2

अध्याय-3

2.

3, मंगलवार व्रत का वृतान्त एवं विचार

4. बुधवार व्रत का वृत्तान्त एवं विधान

5. बृहस्पतिवार व्रत का वृत्तान्त एवं विधान

 

[13:12, 10/7/2020] Raahul Lakhera: प्रणय पूर्ण परिणय के कुंज निकुंज की मृदुल सुधा से प्लावित, वंश लतिका की निर्मलता, नियमितता, निश्चितता तथा निरन्तरता मानव जीवन का निहितार्य है जो वर-वधू के नितान्त गोपनीय प्रकोष्ठों को आभासित, आदोलित, उत्साहित, उत्तेजित तथा प्रमुदित करने हेतु समाज द्वारा अनुमोदित और विधि के विधान क प्रदत्त प्रमाण-पत्र भी है, और जो देह की देहरी पर सानुष्ठान प्रतिष्ठित दायित्व, कर्तव्य एवं अधिकार की परम्परागत, प्रचलित एवं प्रसिद्ध मान्यताओं का स्वर्णिम सुदीप है। परन्तु आदिकाल की परिणय की प्राचीन परम्परा के परिवर्तित होते हुए स्वरूप को प्रायः प्रकम्पित कर देने वाले परिणाम से अनभिज्ञ मानव समाज, वैभव और विलासिता में संलिप्त तथा विज्ञान विधान की विशिष्ट व्याख्या और अनुसंधान के स्वरूप से ग्रस्त होने के कारण ज्योतिष शास्त्र की सारगर्भिता, सार्वभौमिकता, सदोपयोगिता तथा सर्वश्रेष्ठता की निरन्तर उत्तरोत्तर अवहेलना और उपेक्षा करता जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप प्रीति प्रतीति परिपूर्ण परिणय के प्रेमपूर्ण सम्बन्धों में उत्पन्न होने वाली विसंगतियों, विविध व्यवधान, विपटनकारी परिस्थितियों, नृत्य निर्मित होने वाले कलह एवं पृथक्तावादी तत्व और पलायन ही, परिणय सुख की मर्यादा, नैतिकता की परिभाषा तथा परंपरागत संतुलन को ध्वस्त करते जा रहे है इसे आधुनिक सभ्यता की दुर्भाग्यपूर्ण देन ही कहना उपयुक्त है। प्रेरणा प्रदायक, प्राणप्रिय, प्रणयपूर्ण परिणय सुख के परिणाम एवं परिणति से परिणीता एवं उसके प्रणेता के पावन मन और तन के महकते, हंसते, मचुरियम मधुवन के परिणय सुख के वेदविहित, पुराण भिंत, शास्त्रानुमोदित श्रेष्ठ एवं सरल सन्दर्भित संतान
[13:12, 10/7/2020] Raahul Lakhera: यह ग्रंथों की संरचना को है 1. वैवाहिक विलम्ब के विविध आयाम एवं मंत्र, 2. वैवाहिक सुख ज्योतिषीय सन्दर्भ, 3. मेलापक मीमांसा, 4. विवाह विमर्श, 5. Foretelling Widowhood, 6. An Insight into Kuja Dosh, 7. A Compendium of Marriage-An Astrological Exposition, Vol.-1,8. Compendium of Marriage-An Astrological Exposition, Vol.-11, 9. Predicting Marriage, 10. वैवाहिक सुख में शनि प्रमुख, 11. जातक सारावली (सप्तम भाव)।

उपराकित सभी ग्रन्थों में अधिकांश के अन्यान्य संस्करण इन कृतियों की

लोकप्रियता की सिद्धि करते हैं। पूर्व अनेक वर्षों से देश विदेश के जिज्ञासु पाठकों, ज्योतिष प्रेमियों और आगन्तुकों के अनवरत आग्रह पर परिणय निर्णय वैवाहिक विसंगतियाँ : ज्योतिषीय सन्दर्भ नामक इस शोध प्रबन्ध की संरचना का गुरुतर दायित्व हमने बहन किया है। वस्तुतः परिणय निर्णय नामक इस ग्रन्थ को विभिन्न उपशीर्षकों के अन्तर्गत व्याख्यायित करके अनेक ग्रन्थों में विभाजित किया गया हैं जिनमें से अनेक में हमारे पूर्व ग्रन्थों में उल्लिखित शोध सामग्री तथा अनुसन्धानात्मक सूत्रों को यथावत् लेकर अपने प्रिय पाठकों को किसी प्रकार के प्रम, भ्रान्ति अथवा संशय से पूर्णतः विमुक्त रखने का प्रयास किया गया है। विवाह के विषय पर केन्द्रित उपरोक्त सभी ग्रन्थों में अनेक पृष्ठों में संयोजित संकलित ग्रह योग की व्याख्या, उदाहरण, उनके विश्लेषण आदि को परिणय निर्णय की विभिन्न शीर्षक गीत संरचनाओं में यत्र-त्र यादव सम्मानित किया गया है जिसका उद्देश्य परिणय जैसे जटिल विषय के समस्त पक्षों पर केन्द्रित समग्र सामग्री, जो विविध स्थलों पर विवेचित है, उसे एक स्थल पर संकलित और समायोजित करके पाठकों के कल्याणार्थ प्रस्तुत की जा सके।

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