Neelam [hindi] by K Jagadish Sharma [MiscP]

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Description

96 Pages

नौ रत्‍नों में 'नीलम' की प्रधानता सर्वोपरि है। यही एक रत्‍न है जो तत्‍काल शुभाशुभ परिणाम दिलाता है और स्‍टोन धारण के प्रति विश्‍वास बढ़ाता है। नीलम की अंगूठी पहने हुए साधारण से साधारण व्‍यक्ति भी राजा, महाराजा, सेठ साहूकार, नेता, अभिनेता, विद्वान किसी से भी हतप्रभ नहीं होता। 'नीलम' धारणकर्ता को मात्र 24 घंटे के भीतर ही अपना प्रभाव दिखा देता है। यदि सूट किया तो कंगाल से राजा बना देता है, यदि सूट नहीं किया तो राजा को कंगाल बनाने में देरी नहीं लगाता। 

 

प्राक्कथन

रल उन दुर्लभ पुष्पों की भाँति हैं जो न कभी मुरझाते हैं और न ही कभी कुम्हलाते हैं, वे सदैव चित्ताकर्षक व सम्मोहक होते हैं पुष्पों को भक्ति सुधार न होने के बावजूद भी ये तन-मन को देदीप्यमान करते हैं तथा अथाह ऊर्जाओं के दाता व शक्ति प्रदाता होते हैं।

भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं, संस्कारों, संस्कृतियों ने संपूर्ण विश्व को अपने चिंतन, अलौकिक दैविक आपदाओं से चमत्कार किया है। इसकी भौतिक संपदाओं की चमक-दमक से संपूर्ण विश्व चकाचौंध हो रहा है। हमारे रत्नों ने सदैव अपनी उपयोगिताओं के कारण प्रसिद्धि पाई है।

पारदर्शिता, अल्प पारदर्शिता, पारदर्शिता, रंग विहीनता आकर्षकता, अनाकर्षकता, कठोरता आदि रत्नों के विभाजन की विभिन्न श्रेणियां हैं। पर्याप्त और दुर्लभ वस्तुओं के संग्रह की लालसा मानव-मन में सदैव विद्यमान रहती है, इसीलिए आसानी से प्राप्य, सुलभ वस्तुओं, रत्नों आदि के प्रति उसका आकर्षण समाप्त हो जाता है। अतः रत्नों की दुर्लभता भी उसका विशेष गुण माना जाता है। इसके अतिरिक्त रत्नों के दो और विशेष गुण हैं- प्रथम कठोरता व द्वितीय चित्ताकर्षकता।

रत्न धारण करने की प्रथा अत्यंत प्राचीन तो है ही, साथ ही लाभकारी भी है। जनमानस के पटल पर रत्नों के विषय में अनेक भ्रांतियां हैं जिस कारण समाज का एक बड़ा वर्ग इसके लाभों से सदैव हो वाचित रहा है। इसी अज्ञानता वश इसका प्रभुत्व एक समुदाय विशेष के हाथों सीमित रह गया है। कब खरीदें, कहां से खरीदें, कैसे बनवाएं, कब और कैसे पहनें? असली है अथवा नकली?

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