Nakshatra Vichar by Prash Trivedi [AP]
Description
आकाशीय जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ पिंडों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से संबंधित शासà¥à¤¤à¥à¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤° है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥à¤¯ मनीषियों ने 27 नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में वकà¥à¤° का विà¤à¤¾à¤œà¤¨ किया था, 12 राशियों में नहीं सतà¥à¤¯ तो यही है, कि गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ का विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ पर गोचर का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ, धरती के वातावरण व निवासियों पर पड़ता है।
नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° का पदचà¥à¤›à¥‡à¤¦ करने पर 'नकà¥à¤·' अरà¥à¤§à¤¾à¤¤ आकाश व 'कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°' अधवा आकाश का मानचितà¥à¤° à¤à¤¸à¤¾ अरà¥à¤¥ होता है। कà¥à¤› विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ इसे नकà¥à¤· तारा नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° मानते हैं उनके मतानà¥à¤¸à¤¾à¤° आकाशीय ताराओं का मानचितà¥à¤° नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° है। मतानà¥à¤¤à¤° से जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° अकà¥à¤·à¤° जो कà¥à¤·à¤°à¤¿à¤¤ नहीं होता, ठीक उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° à¤à¥€ जो नषà¥à¤Ÿ न हो, à¤à¤¸à¥€ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿ मानो जाती है।
बात कà¥à¤› à¤à¥€ हो हमें पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषियों की दूर-दृषà¥à¤Ÿà¤¿ व जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की सराहना करनी होगी। जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने आकाश मंडल के तारा समूह को नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में बाà¤à¤Ÿ कर, गà¥à¤°à¤¹ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ की अटल गणना को सरल व सटीक बनाया।
नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के बिना गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ को गति जानना असंà¤à¤µ है। जो महतà¥à¤¤à¥à¤µ मानव देह में नेतà¥à¤°à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ है वही महतà¥à¤µ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· में नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को मिला है। अनà¥à¤¯ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में यदि जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· वेद (जà¥à¤žà¤¾à¤¨)का नेतà¥à¤° है, तो नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° को जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· की आà¤à¤–ें कहना अनà¥à¤šà¤¿à¤¤ नहीं होगा। तनिक गंà¤à¥€à¤°à¤¤à¤¾ से सोचें तो पाà¤à¤‚गे कि जनà¥à¤® से आरंठहोने वाली जीवन यातà¥à¤°à¤¾
जो मृतà¥à¤¯à¥ तक चली है, इन नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से होकर ही गà¥à¤œà¤°à¤¤à¥€ है। ये नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° जीवन के
महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ पहावों को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¥‡ हैं इसे निमà¥à¤¨ विवरण से समà¤à¤¾ जा सकता है। अशà¥à¤µà¤¿à¤¨à¥€ (मेष के आरंठसे 13 अंश 20 कला तक): यह जीवन के पà¥à¤°à¤¥à¤® वरà¥à¤· को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है। ननà¥à¤¹à¤¾ सà¥à¤•à¥‹à¤®à¤² शिशॠपर आशà¥à¤°à¤¿à¤¤ होता है। उसका जीवन दूसरों पर निरà¥à¤à¤°
होता है। à¤à¥‚ख लगने पर वह रोता है तो गोद में आने पर हà¤à¤¸à¤¤à¤¾ है। शायद इस अवधि में instinctual awareness (जनà¥à¤®à¤œà¤¾à¤¤ चेतना) ही अधिक कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤¶à¥€à¤² होती है। à¤à¤°à¤£à¥€ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° जीवन की उस अवधि का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है बचà¥à¤šà¥‡ के दाà¤à¤¤ निकलते है। यह माला के सà¥à¤¤à¤¨à¤ªà¤¾à¤¨ के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ ख पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ रà¥à¤šà¤¿ लेता है। वह अपनों रà¥à¤šà¤¿ व अरà¥à¤šà¤¿ को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ ढंग से दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है। कदाचित Primeval win (मूल इचà¥à¤›à¤¾) का यहाठसà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ बोध होता है।
शिशॠजब खड़े होकर चलना सीखता है, नठशबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— करता है तो इसे
चितà¥à¤°à¤¾ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° मंगल का नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° होने से, योजना को कारà¥à¤¯ रूप में परिणत करता है। जातक अपने पà¥à¤¯à¤¾à¤° की संदला में पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ पाता है। सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤¿ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° मनà¥à¤·à¥à¤¯ को समाज के साध बंधन में बाà¤à¤§à¤¤à¤¾ है। यह अपनी सेवा या उतà¥à¤ªà¤¾à¤¦ से समाज का सेवा करता है। समाज में उसकी विशिषà¥à¤Ÿ पाचान बनती है।
विशाखा नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ 45-30 वरà¥à¤· की आय में दिखता है। कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में
महानता à¤à¤µà¤‚ धन य ठपाने की बाद मनà¥à¤·à¥à¤¯ को अधिक सारà¥à¤• व लोकोपकारी
(या समाज सेवा के) कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ में रà¥à¤šà¤¿ लेता है। कारण-विशाखा नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° का सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ गà¥à¤°à¥
धरà¥à¤® व परोपकार पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ है। अनà¥à¤°à¤¾à¤§à¤¾ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° कà¤à¥€ लौकिक सà¥à¤– के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अनासकà¥à¤¤à¤¿ देता है मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥Œà¤—ों को निसà¥à¤¸à¤¾à¤°à¤¤à¤¾ का अनà¥à¤à¤µ करने लगता है। अà¤à¤¾à¤µà¤—à¥à¤°à¤¸à¥à¤¤, दौन व दà¥à¤–ी पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की
सेवा-सहायता में वह जीवन का नया अरà¥à¤¥ तलाशता है। जà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤ ा नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° तक जोखन गातà¥à¤°à¤¾ पचने पर वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ समाज में मान-पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा पाता है। ना और परोपकार के कारण समाज में उसे आदर समà¥à¤®à¤¾à¤¨ मिलता है। मूल नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° आयॠका यह à¤à¤¾à¤— है जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ का मोह à¤à¤‚ग होने लगता है। उसे लगता है कि यशव पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ा का विशाल à¤à¤µà¤¨, कà¤à¥€ मिथà¥à¤¯à¤¾ व दà¥à¤µà¥‡à¤· पूरà¥à¤£ पà¥à¤°à¤šà¤¾à¤° से
टूट कर बिखर सकता है। उजà¥à¤œà¥à¤µà¤² छवि पर पड़ा मिथà¥à¤¯à¤¾ कलंक का दाग, मनà¥à¤·à¥à¤¯ को मूरà¥à¤¤ व अदृशà¥à¤¯ सतà¥à¤¯ की ओर मà¥à¤¡à¤¼à¤¤à¤¾ है। पूरà¥à¤µà¤¾à¤ªà¤¾à¤° नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° आयॠका ये पड़ाव है जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ अपनी आकांकà¥à¤·à¤¾à¤“ं व
आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾à¤“ं से ऊपर उठकर जà¥à¤žà¤¾à¤¨ धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में पà¥à¤°à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ होता है। लौकिक वासनाà¤à¤ उसे पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ नहीं करती। यह तौकिक कामनाओं से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर सà¥à¤–ी स संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ होता है। उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤·à¤¾à¤¢à¤¼à¤¾-अब मनà¥à¤·à¥à¤¯ संसार को पà¥à¤°à¤à¥ का विराट रूप मान कर उसे बंधन या दà¥:ख का कारण नहीं मानता। वह सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को समाज के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करता है। वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ उदार मन व परोपकारी होता है या अà¤à¥€ कà¥à¤› 'विशà¥à¤µà¤®à¥‚रà¥à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤à¥ के चरणों में समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ करने को कृतसंकलà¥à¤ª जान पड़ता है। कारण-या सूरà¥à¤¯ का नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° है और सूरà¥à¤¯ जगत की आतà¥à¤®à¤¾ है। अतः मनà¥à¤·à¥à¤¯ à¤à¥€ समाज की आतà¥à¤®à¤¾ बनने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करता है।
शà¥à¤°à¤µà¤£ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° का पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को देह à¤à¤¾à¤ˆ, आता, अà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ को नषà¥à¤Ÿ कर उसके मन को अधिक निरà¥à¤®à¤² व परिषà¥à¤•à¥ƒà¤¤ (विकà¥à¤°à¥€à¤¸) करता है। वह सà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अधिक संवेदनशील होता है तथा अनà¥à¤¯ संघों को सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में समरà¥à¤¥ होता है। अनà¥à¤¯ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ कि रावण का अरà¥à¤¥ है मà¥à¤¨à¤¨à¥‡ की शकà¥à¤¤à¤¿à¥¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤µà¤£à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ अधिक बाल पाने से दूर अवण या धीमी आवाज को सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ में सकà¥à¤·à¤® होती है। पनिषà¥à¤ ाः समूची सृषà¥à¤Ÿà¤¿ में वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤à¥ को अवà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ वाणी सà¥à¤¨à¤¨à¥‡ समà¤à¤¨à¥‡ की
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