Mantra Manjri By Mridula Trivedi & T. P. Trivedi [AP]
Description
पà¥à¤°à¥‹à¤µà¤¾à¤•
(तूतिया परिमारà¥à¤œà¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ परà¥à¤µà¤¤ संसà¥à¤•à¤°à¤£)
हमने à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ के à¤à¤µà¥à¤¯ à¤à¥à¤µà¤¨ में तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤µà¤¨ मोहिनी तिपà¥à¤° सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¥€ के सà¥à¤¨à¥‡à¤¹à¤¾à¤¶à¥€à¤· के पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤«à¤² के रूप में अब तक लगà¤à¤— 100 वृहद शोध पà¥à¤°à¤µà¤¨à¥à¤§à¥‹à¤‚ की संसà¥à¤¥à¤¾ की है। हमारी लगà¤à¤— समसà¥à¤¤ कृतियों जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚, जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के पà¥à¤°à¤–र छातà¥à¤°à¥‹à¤‚, अनà¥à¤¸à¤‚धानकरà¥à¤¤à¤¾à¤“ं, जितà¥à¤¤à¥‚ पाठकों और अनेक पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ के मधà¥à¤¯ अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ मोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ हà¥à¤ˆ हैं और उनमें से अधिकांश के अनेक परिमारà¥à¤œà¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ परिवदà¥à¤§à¤¿à¤¤ संसà¥à¤•à¤°à¤£ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ हो चà¥à¤•à¥‡ हैं यहां पर हमें यह सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करने में किंचित à¤à¥€ संकोच नहीं है कि हमारे साधना का पà¥à¤°à¤®à¥à¤– विषय जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤° का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨, मनन, चिंतन और अनà¥à¤¸à¤‚धान है। बालà¥à¤¯à¤•à¤¾à¤² से ही हमें जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤° के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ गहरी अà¤à¤¿à¤°à¥à¤šà¤¿ रही है। हमारे पिताजी बंगलौर से पकाशित होने वाली 'द à¤à¤¸à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤²à¥‰à¤œà¤¿à¤•à¤² मैगजीन' पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¹ राशिफल पढ़ने के लिठमैंगवाते थे हमें à¤à¥€ अपना राशिफल पढ़ने हेतॠकौतूहल जागत होता था। राशिफल के साथ-साथ हमद à¤à¤¸à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥‹à¤²à¥‰à¤œà¤¿à¤•à¤² मैगजीन' में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ सरल लेख à¤à¥€ पढ़कर समà¤à¤¨à¥‡ का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करते थे। इस दिशा में हमारी रà¥à¤šà¤¿ का उतà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° आवरà¥à¤§à¤¨ होता चला गया और हमने जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ कà¥à¤²à¤¿à¤·à¥à¤Ÿ और जटिल लेखों का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ कर दिया। हमारे कटौती जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ ने हमारे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अपने जनà¥à¤®à¤¾à¤‚ग का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ à¤à¥€ समय-समय पर कराया, तो इस विषय में हमारा आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ सà¥à¤¦à¥ƒà¤¢à¤¼ होता चला गया हमारे
इन सà¤à¥€ मंतà¥à¤° शकà¥à¤¤à¤¿ पर केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ और लघॠकृतियों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के उपरानà¥à¤¤ हमारे मन में à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ कृति की संरचना का विचार आया, जिसमें सà¤à¥€ विषयों पर केनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¤ तथा सà¤à¥€ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ का समावेश हो और मंतà¥à¤° शकà¥à¤¤à¤¿ के उपयोग का सà¥à¤—म विधान à¤à¥€ समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हो। आम जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ ओर आसà¥à¤¤à¤¿à¤• पाठकगण इसे अपनी नियमित साधना में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ करके मंतà¥à¤° शकà¥à¤¤à¤¿ से लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ हो सकें। तथा इसी विचार का निरनà¥à¤¤à¤° मानधन, चिंतन और ममन हमारे मन-मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• में चंचल चटà¥à¤² तरंगें लेकर बार-बार करवट बदलता रहा। अंततः हमने अपने विचारों के विनà¥à¤¦à¥ को सिनà¥à¤§à¥ के रूप में रूपानà¥à¤¤à¤°à¤¿à¤¤ करने का निरà¥à¤£à¤¯ किया और तà¤à¥€ मंतà¥à¤° मंजरी' नामक इस कृति की संरचना सनॠ2007 में हà¥à¤ˆà¥¤ इसका पà¥à¤°à¤¥à¤® संसà¥à¤•à¤°à¤£ सनॠ2010 तक समापà¥à¤¤ हो गया और सनॠ2011 के पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ में ही मंतà¥à¤° मंजरी के दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¤°à¤£ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤†à¥¤ समय के अà¤à¤¾à¤µ के कारण मंतà¥à¤° मंजरी के दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¤°à¤£ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ के समय उसे परिमारà¥à¤œà¤¿à¤¤ और परिवरà¥à¤¦à¥à¤§à¤¿à¤¤
नहीं किया जा सका। सनॠ2011 में मंतà¥à¤° मंजरी का दूसरा संसà¥à¤•à¤°à¤£ à¤à¥€ समापà¥à¤¤ हो गया। मंतà¥à¤° मंजरी की लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ देखते हà¥à¤ हमने मेसरà¥à¤¸ à¤à¤²à¥à¤«à¤¾ पबà¥à¤²à¤¿à¤•à¥‡à¤¶à¤¨ के सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ शà¥à¤°à¥€ अमृत लाल जैन से अनà¥à¤°à¥‹à¤§ किया कि तृतीय संसà¥à¤•à¤°à¤£ का परिमारà¥à¤œà¤¨ à¤à¤µà¤‚ परिवà¥à¤¦à¥à¤§à¤¨ अति आवशà¥à¤¯à¤• है। अतः इस कारà¥à¤¯ के पूरा होने तक तृतीय संसà¥à¤•à¤°à¤£ का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ नहीं किया जाना चाहिà¤, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मंतà¥à¤° मंजरी के तृतीय परिमारà¥à¤œà¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤‚ परिवà¥à¤§à¤¿à¤¤ संसà¥à¤•à¤°à¤£ के पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ से पूरà¥à¤µ हमने जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¬à¥à¤¦à¥à¤§ पाठकों की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं के मरà¥à¤® का बार-बार आà¤à¤¾à¤¸ किया है à¤à¤µà¤‚ उसी के अनà¥à¤°à¥‚प मंतà¥à¤° मंजरी की सारà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾, महतà¥à¤¤à¤¾, उपयोगिता तथा लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ के संवरà¥à¤§à¤¨ के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से यथासंà¤à¤µ मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ और सà¥à¤¤à¥‹à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ का संदरà¥à¤ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने के साथ-साथ उनकी शà¥à¤¦à¥à¤§à¤¤à¤¾ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ आदि पर à¤à¥€
विशेष धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ दिया है।
मंतà¥à¤° मंजरी में सनà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ मंतà¥à¤°à¥‹à¤‚ के जप से कितने ही निरà¥à¤§à¤¨ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ आरà¥à¤¥à¤¿à¤• रूप से अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• समà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हà¥à¤ और कà¥à¤› सामानà¥à¤¯ साधक अतà¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ धनवान हà¥à¤à¥¤ कितने ही बनà¥à¤¦ उदà¥à¤¯à¥‹à¤— चल निकले और कितने ही लोगों के वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯ में उतà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ और पà¥à¤°à¤—ति होती चली गई। दैहिक विकृतियों, वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ और वà¥à¤¯à¤¥à¤¾à¤“ं के शमन हेतॠजो मंतà¥à¤° पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— मंतà¥à¤° मंजरी में विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ हैं, उनके अनà¥à¤¸à¤°à¤£ से कैंसर और à¤à¤¡à¥à¤¸ जैसी असाधà¥à¤¯ वà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ से गà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ à¤à¥€ लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤ हैं विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के समकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िता में सफल होने की चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ सदा से विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है इसलिठउनकी सफलता पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हेतॠजो मंतà¥à¤° साधना मंतà¥à¤° मसूरी में सतà¥à¤°à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ है, उनका अनà¥à¤ªà¤¾à¤²à¤¨ करने से कितने ही विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤¶à¤¾à¤¸à¤¨à¤¿à¤• सेवा, आई.आई.टी., आई. आई.à¤à¤®., सी.à¤., पी.à¤à¤®.टी., बैंकिंग आदि से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤—िताओं में सफल हà¥à¤ हैं। विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अरिषà¥à¤Ÿ जीवन को आतंकित, अवरोधित, बावित और असंतà¥à¤²à¤¿à¤¤ करते रहते हैं जिनके समाधान हेतॠसटीक मंतà¥à¤° पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— का संपादन करने से अपà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ सफलता, लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾, सारà¥à¤¥à¤•à¤¤à¤¾ तो पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती ही है, साथ ही साथ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के वरिषà¥à¤ ों का à¤à¥€ निरà¥à¤®à¥‚लन होता है।
शनि की साढ़ेसाती, शनि का ढैया आदि सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को चितित और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ करते हैं। महाकाय, महाकाल, तिमिराकार शनि, आतंक, दà¥à¤°à¥à¤¦à¤®à¤¨à¥€à¤¯ दारà¥à¤£ दà¥à¤ƒà¤–ों की वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ का परà¥à¤¯à¤¾à¤¯ बन गया है। अतः शनि गà¥à¤°à¤¹ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के अरिषà¥à¤Ÿà¥‹à¤‚ की शानà¥à¤¤à¤¿ हेतॠकतिपय अनà¥à¤à¥‚ल मंतà¥à¤° साधनाओं के अनà¥à¤¸à¤°à¤£ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ सहयों पाठकगणों का जीवन सà¥à¤–ी हà¥à¤† है और उनके जीवन की गति, मंतà¥à¤¤à¤¿, पà¥à¤°à¤—ति तीवà¥à¤°à¤¤à¤¾ की और अगà¥à¤°à¤¸à¤° हà¥à¤ˆ है। उनके जीवन में उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने वाले अकà¥à¤°à¥‹à¤§, विघà¥à¤¨, बाधा, असफलता, उदासी और निराशा का शमन तब हà¥à¤†, जय सहयों पाठकों ने मंतà¥à¤° मसूरी में उदà¥à¤§à¥ƒà¤¤ मंतà¥à¤° साधना और जप आदि करने के साथ-साथ शनि के दान आदि का संपादन किया।
मंतà¥à¤° साधना से पूरà¥à¤µ मंतà¥à¤° शकà¥à¤¤à¤¿ किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से कारà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होती है, इसका संजà¥à¤žà¤¾à¤¨ परमावशà¥à¤¯à¤• है। यहाठहम आसन पर बैठकर मंतà¥à¤° जप करते हैं और वहाठकरोड़ों मील दूर गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ का नकारातà¥à¤®à¤• पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ शनैः शनैः सकारातà¥à¤®à¤•à¤¤à¤¾ में परिणीत और परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ होने लगता है। इसका वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ मंतà¥à¤° मंजरी के सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ खणà¥à¤¡ में किया गया है।
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