Mangali Yog Bhranti Va Nidan [Hindi] By Kusum Vashista [AP]
Description
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤°à¤£
मंगली योग से समà¥à¤¬à¤‚धित समसà¥à¤¤ पहलà¥à¤“ं का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ मैंने इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में किया है। यह विषय अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ होने पर आज à¤à¥€ पूरà¥à¤£à¤¤ सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ नहीं है। विशेष आगà¥à¤°à¤¹ किठजाने पर सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® मैने इस विषय के महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में लिखा है। मंगली योग का मिलान कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¥€ मिलान में किस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° किया जाठतथा कितना आवशà¥à¤¯à¤• है, कितना पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¥€ है साथ ही मंगली से संबंधित समसà¥à¤¤ विषय इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में संकलित है। लिखते समय मेरा यही उठà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ है कि गंà¤à¥€à¤° विषय को à¤à¥€ सहजता और सरलता के साथ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया जाà¤à¥¤ जिससे पाठक आसानी से विषय को समà¤à¥‡à¤‚। कà¥à¤²à¤¿à¤·à¥à¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ का उपयोग तथा विषय को घà¥à¤®à¤¾ फिरा कर लिखना मैं उचित नहीं समà¤à¤¤à¥€à¥¤ à¤à¤¾à¤·à¤¾ की सरलता ही विशेषता है इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¤°à¤£ में मंगल के अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होने पर तथा विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ राशियों में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होने के फल का à¤à¥€ समावेश किया है जिससे यह सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होता है कि मंगल अनà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होकर à¤à¥€ हानिकारक हो
सकता है। "जà¥à¤žà¤¾à¤¨ बाटने से बढ़ता है" इसी पंकà¥à¤¤à¤¿ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤ मà¥à¤à¥‡ ईशà¥à¤µà¤° ने जो à¤à¥€ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया है उसे किसी à¤à¥€ रूप में पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती है जिससे अनà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का à¤à¤²à¤¾ हो तथा पाठकगण विषय को समà¤à¤•à¤° उस विषय में अगà¥à¤°à¤£à¥€ हो जिससे जà¥à¤žà¤¾à¤¨ शीघà¥à¤°à¤¤à¤¾ से बढे न कि किसी à¤à¤• जगह सà¥à¤¥à¤¿à¤° रहे। किसी à¤à¥€ विषय में पारंगता पाना कठिन है। मà¥à¤à¥‡ ईशà¥à¤µà¤° कृप और पठन पाठन तथा अनà¥à¤à¤µ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जो à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤† पाठकों के सनà¥à¤¦
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