Maheshwar Tantra By Dr Rudradev Tripathi [RP]
Description
माहेशà¥à¤µà¤°-तनà¥à¤¤à¥à¤°
यह लघà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ 'माहेशà¥à¤µà¤°-तनà¥à¤¤à¥à¤°' तनà¥à¤¤à¥à¤° शासà¥à¤¤à¥à¤° के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤®à¥à¤– पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ों को पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करने वाला à¤à¤—वान तà¥à¤°à¥à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° शिव के कृपा से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है। इसमें लिखे अनà¥à¤¸à¤¾à¤° तà¥à¤°à¥à¤¯à¤®à¥à¤¬à¤•à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° (नासिक महाराषà¥à¤Ÿà¥à¤° के निकटवरà¥à¤¤à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ पीठ) में निवास कर तप साधना करने वाले महातà¥à¤®à¤¾ शिवगिरि' को à¤à¤—वान शिव ने उनको पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ पर पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर इसे सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¤¾ था।
इस गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में बताया गया है कि उकà¥à¤¤ महातà¥à¤®à¤¾ संनà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में शिरोमणि थे, अनेक तंतà¥à¤°-कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं की साधना में निपà¥à¤£ थे, किनà¥à¤¤à¥ कà¥à¤› कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं में उनको सिदà¥à¤§à¤¿ नहीं मिल रही थी, इससे वे दà¥à¤ƒà¤–ित होकर à¤à¤—वानॠशिव के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में जाकर अनशन करके बैठगये। à¤à¤•à¥à¤¤ की हठ-à¤à¤•à¥à¤¤à¤¿ से पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨ होकर दयालॠà¤à¤—वान शिव ने सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨ में दरà¥à¤¶à¤¨ दिया और उतà¥à¤¤à¤®à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤® सिदà¥à¤§à¤¿à¤ªà¥à¤°à¤¦ पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— बतलाये। उन पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ों की सिदà¥à¤§à¤¿ से उनका बड़ा पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ फैल गया।
इधर उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ दिनों जयपà¥à¤° (राजसà¥à¤¥à¤¾à¤¨) के निकटसà¥à¤¥ 'टोला' गांव के निवासी पं, à¤à¤µà¤¾à¤¨à¥€ पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ जी के पौतà¥à¤° तथा पं. राजकà¥à¤®à¤¾à¤° जी के पà¥à¤¤à¥à¤° पं. लकà¥à¤·à¥à¤®à¥€à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ जी गौड़ यातà¥à¤°à¤¾ के पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग में तà¥à¤°à¤¯à¤‚बकेशà¥à¤µà¤° गये और वहां उन महातà¥à¤®à¤¾ जी की चारों ओर पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा सà¥à¤¨à¥€à¥¤ वे वहाठरà¥à¤• गये और शिवगिरि जी महाराज को सेवा करने लगे। यथासमय उनकी कृपा हà¥à¤ˆà¥¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मनà¥à¤¤à¥à¤°-दीकà¥à¤·à¤¾ दो और अनेक ततà¥à¤•à¤¾à¤² सिदà¥à¤§à¤¿ देने वाले उतà¥à¤¤à¤® मनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ और पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤—ों का उपदेश किया
Opps
Sorry, it looks like some products are not available in selected quantity.