Mahamrityunjaya - Sadhana Evam Siddhi By Dr Rudradev Tripathi [RP]

₹100.00
availability: In Stock

  • Colour
  • Size

Description

[17:02, 10/8/2020] Raahul Lakhera: पुरोवचन

जैसे-जैसे जन-मानस में जिज्ञासा जागती है वैसे ही मोदी दिशा में चरण आगे बढ़ते जाते हैं। आज के युग में जो एक प्रकार की व्याकृतता सभी मानवों में पूर्णतया व्याप्त है, वह है स्वस्थ जीवन की । क्योंकि पम-पग पर फिलसते जीवन में और सब तो जो होना है, होता ही है, किन्तु फिसलकर पुन खड़े होने की शक्ति यदि नहीं रहे तो जीना ही व्यर्थ हो जाता है। इसीलिए तो महाकवि कालिदास ने कहा है-शरीर में खलु धर्मसाधनम् समस्त सांसारिक धर्म-कर्म-साधनों का मूल शरीर है। 'जान है तो जहान है' यह बहुत महत्त्व की बात है।

हम जिन बाहरी उपायों से अपनी सुरक्षा चाहते हैं उनकी स्थिति द्रौपदी के चीर की तरह निरन्तर बढ़ती रहती है प्रतिदिन हम देखते हैं कि उस व्यक्ति ने अपने रोग का उपचार छोटे-से चिकित्सालय से आरम्भ कर क्रमशः देश के और विदेश के बड़े-से-बड़े हॉस्पिटलों में करवाया, इतना व्यय किया, इतना सब करने पर भी अन्तिम डोर प्रभु के हाथ ही है, आदि ।

तब हम सोचते हैं कि जब अन्त में प्रभु से प्रार्थना करनी ही है तो प्रारम्भ से ही उसका आश्रय क्यों न लें? तब इष्टदेव की भक्ति के साथ रोग-मुक्ति, आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाव और अकाल मृत्यु से छुटकारा दिलाने वाले 'अमृत वर्षा महामृत्युंजय का स्मरण आवश्यक हो जाता है

जैसे एक रोग की हजार दवाइयां होती हैं, उसी प्रकार महामृत्युजय' की उपासना भी अनेक प्रकार की है। छोटी-बड़ी, लौकिक, शास्त्रीय, साधारण-असा धारण, मन्, यन, तन्त्र, स्तोत्र, कवच आदि। इन सब का एक स्थान पर प्रामाणिक और शास्त्रीय पद्धति से परिपूर्ण सर्वोपयोगी ग्रन्थ आज तक कहीं उपलब्ध नहीं हुआ। इस कमी की पूर्ति के लिए एक सशक्त प्रयास महामृत्युञ्जयः साधना एवं सिद्धि' नामक इस ग्रन्थ में समाविष्ट है।
[17:03, 10/8/2020] Raahul Lakhera: त

विषय-सूची

परिचय-विभाग

.

क्रम

विषय

1. मंगलाचरण

2

3.

आदिदेव भगवान आशुतोष शिव के विविध रूप

4. मृत्यु की उत्पत्ति और उससे बचने की आवश्यकता

5.

6.

7.

8.

9.

अमृत-प्राप्ति का अधिकार तथा उसके दाता महामृत्युंजय

मृत्युंजय शिव का शास्त्रोक्त स्वरूप

महामृत्युञ्जय मन्त्र स्वरूप, अर्थ एवं तात्पर्यार्थ महामृत्युञ्जय-मन्त्र के अक्षरों के अर्थ

मन्त्रगत 14 पदों की शक्तियां और

10. मन्त्रगत 8 वाक्यों के अर्थ

 

प्रकारान्तर से 6 वाक्यों के शक्तिषट्कात्मक

मन्त्रगत 4 चरणों के अर्थ पूर्वार्द्ध और उत्तरार्द्ध खण्डों के अर्थ

मन्त्रगत सम्पूर्ण मन्त्र का तात्पर्य

मृत्युंजय मंत्र के वर्णों की शक्तियों का जागरण महामृत्युञ्जय-मन्त्र के अन्य तान्त्रिक प्रकार

ध्यान का महत्व

रोगनिवारण के लिए उपासना की आवश्यकता

'महामृत्युंजय-महिमा' शुक्राचार्य जी द्वारा वर्णित महर्षि दधीचि द्वारा महामृत्युंजय

उपासना

मंत्र जाप करने के सामान्य नियम

Reviews

No reviews have been written for this product.

Write your own review

Opps

Sorry, it looks like some products are not available in selected quantity.

OK