LAL KITAB PATRIK DOSH

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Description

पंडित कृष्ण अशांत

लाल किताब के बारे में छपी किसी भी पुस्तक में लाल किताब के पितृ-रण का किसी भी रूप में विस्तार तथा व्याख्या नहीं दी गई। वास्तव में ज्योतिष की पाराशरी और दूसरी पद्धतियों में भी पितृ त्राण यानी पैतृक दोष के बारे में कोई विशेष पुस्तक नहीं है। इस पुस्तक को लिखने की आवश्यकता इसलिए है कि पाठकों को अपने बुजुगों के लिए हुए दुष्कर्मों के फत भोगने के क्या सिद्धान्त , तो उन दुष्कर्मों के प्रभाव को जानने की निशानियां क्या हैं तवा उनके विशेष उद्धार क्या है-इन सबकी जानकारी हो सके। ज्योतिष की कई पद्धतियों में विशेष दोषों के लिए जो उपाय का तरीका है यह बिना किसी हैतु

के दिया गया है। जैसे कर्मकांड के विद्वान पितृ दोष का मतलब हमारे किसी बुजुर्ग की आत्मा की

सङ्गति न होना मानते हैं, जिसके लिए पिंडदान आदि या पवित्र नदियों के विशेष स्थानों पर जाकर

पूजा-पाठ का विधान है किन्तु लाल किताब में पैतृक दोष को सुचाक ढंग से समाना गया है। इसके यदि सभी पहलुओं को ध्यान से समझा जाए तो पितों के विशेष दोष के बारे में विशेष प्रकार के उपाय करने से पुश्त-दर-वक्त चतने वाले इस पैतृक दोष से छुटकारा पाया जा सकता है। मेरे बिहार में जिस परिवार के व्यक्तियों की पत्तियों में पैतृक दोष होता है, उनके लिए किसी भी और पद्धति के उपाय पूरा प्रभाव नहीं दे सकते। इसलिए ताल-किताब में दिए पैतृक दोष के उपाय बहुत से परिवारों के कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। अनेक ज्योतिष संस्थाओं द्वारा ज्योतिष सम्राट, ज्योतिष भूषण व दैवज्ञ महर्षि से सम्मानित

पं. कृष्ण अशांत लगभग तीस सात से ज्योतिष पर कार्य कर रहे हैं। इनका जन्म 18 दिसंबर 1935 ई. में पंजाब में लुधियाना के पास एक गाँव में हुआ। एम.ए. फिलासफी करने के बाद कालेज में अध्यापन किया, फिर कुछ समय तक समाचार-पत्रों का सह-संपादन करते रहे। उसके बाद ज्योतिष शास्त्र को ही जीवन बना लिया। इसी संबंध में

विभिन्न देशों की यात्रा भी की।

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