Lagna Darshan Part 3 by Pt. Krushna Ashan
Description
[11:33, 10/3/2020] Raahul Lakhera: आरंà¤à¤¿à¤•à¤¾
की इस किताब से पहले, जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· विषय पर मेरे दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अमृता पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤® जी के साथ नाक के रूप लिखी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• तà¥à¤°à¤¿à¤• à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ की गाया जो कि सनॠ1904 पंजाबी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में लिखी गई थी और जिसके हिंदी à¤à¤¾à¤·à¤¾ में à¤à¥€ कई संसà¥à¤•à¤°à¤£ निकले, मेरे कई शà¥à¤à¤šà¤¿à¤‚तकों व जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के जिजà¥à¤žà¤¾à¤¸à¥ पाठकों का मà¥à¤ªà¥à¤¸à¥‡ निरंतर आगà¥à¤°à¤¹ रहा फि में बैसी ही कोई अनà¥à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· विषय पर लिखें। फिर ০94 में इसी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के मराठी में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨ के बाद, मेरे मन में यह à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ र बनी रही कि मैं अपने जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के लगà¤à¤— तीस वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ के वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• मà¥à¤à¤µ के आधार पर à¤à¤• और पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• अपने पाठकों के लिठअवशà¥à¤¯ लिखू। इसके सà¥à¤µà¤°à¥‚प पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•, "लगà¥à¤¨ दरà¥à¤¶à¤¨ आपके समकà¥à¤· है।
कà¥à¤‚डली का लगà¥à¤¨ à¤à¤¾à¤·à¤¾, हमारी आंतरिक कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ का वह केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ विंदॠहै जो हमारे जीने की शैली कà¥à¤¯à¤¾ जीवन में हम जो à¤à¥€ करते हैं, या कर सकने की संà¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ रखते हैं, उसे सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ तीर पर दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है। इसीलिठलगà¥à¤¨ तथा लगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ का जो महतà¥à¤µ है, उनके मà¥à¤•à¤¾à¤¬à¤²à¥‡ में अनà¥à¤¯ किसी à¤à¤¾à¤µ à¤à¤¾à¤µà¤¾à¤šà¥€ पति को, उनके बराबर तà¥à¤¯ नहीं दिया जा सकता। उदाहरण के तौर पर, मान लीजिठकि à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ अधातॠनया à¤à¤¾à¤µ में कोई बहà¥à¤¤ ही शà¥à¤ गà¥à¤°à¤¹ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है। इस शà¥à¤ गà¥à¤°à¤¹ की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ या परिकà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°, हम नवमॠà¤à¤¾à¤µ को सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° रूप में लेकर कà¤à¥€ नहीं जान सकते। इस à¤à¤¾à¤µ के फल देने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ सीमा का मापदंड, लगà¥à¤¨ तथा लगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ की शकà¥à¤¤à¤¿ पर
à¤à¥€ निरà¥à¤à¤° करेगा। यह बात सà¤à¥€ à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ पर लागू होगी। à¤à¤• महान मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•, कारà¥à¤² जà¥à¤‚ग, जिनकी जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· में गहरी रà¥à¤šà¤¿ वी और जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मनोविजà¥à¤žà¤¾à¤¨ के सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों को जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से à¤à¥€ समà¤à¤¾à¤¨à¥‡ की कोशिश की है, का कहना है कि-"मेरा सारा जीवन वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ के रहसà¥à¤ªà¥‹à¤‚ को गहराई से मारने के विचार और उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से ही वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ और बंधा रहा है। इसी कंदà¥à¤°à¥€à¤¯ विंदॠसे वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के जीवन के हर पकà¥à¤· की वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की जा सकती है और मेरा सारा मृतà¥à¤¯à¥ à¤à¥€ इसी विधि से संबंधित है।" मेरे विचार से कारà¥à¤² उà¥à¤‚ग का उपरोकà¥à¤¤ विचार जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤° में कà¥à¤‚डली के लगà¥à¤¨ à¤à¤¾à¤µ के बारे में ही है, कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि जनà¥à¤® कà¥à¤‚डली में लगà¥à¤¨ ही वह सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है जो वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के आंतरिक तथा बाहरी जीवन का दरà¥à¤ªà¤£ है।
इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ विचारों को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखते हà¥à¤, मà¥à¤à¥‡ यह उचित लगा कि जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· विषय पर लगà¥à¤¨ à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ पर कोई पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• लिखना उपयà¥à¤•à¥à¤¤ होगा। वैसे à¤à¥€ मैंने अपने जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के अनà¥à¤à¤µ काल में कोई à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• नहीं देखी जो विशेषकर लगà¥à¤¨ à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ पर विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से लिखी गई हो। इसके अलावा, मेरा जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· का कारà¥à¤¯-कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° विशेषतः 'लाल किताब होने
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