KYA KATHENHAIN UPNISHAD
Description
कà¥à¤¯à¤¾ कहते हैं उपनिषदà¥?
उपनिषद अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® विदà¥à¤¯à¤¾ अथवा बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ को कहते है। उपनिषद वेद
का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ काणà¥à¤¡ है। वह चिर पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ªà¥à¤¤ वह जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दीपक है जो सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के आदि से पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤®à¤¾à¤¨ है और जो शाशà¥à¤µà¤¤ है, सनातन है अकà¥à¤·à¤° हैं। इनके पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ में वह अमरतà¥à¤µ है जिसमें सनातन धरà¥à¤® के मूल का चिंतन किया है यह जगतॠकलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की निधि है। उपनिषदॠवà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ वाला शबà¥à¤¦ है जिसका मà¥à¤–à¥à¤¯ अरà¥à¤¥ है विदà¥à¤¯à¤¾à¥¤ इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ वेदांत à¤à¥€ कहते हैं। सतà¥à¤¯ की खोज करने की उतà¥à¤¸à¥à¤•à¤¤à¤¾, उपनिषदों की विशेषताओं में से à¤à¤• है। बिना उपनिषदों को समà¤à¥‡, à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ इतिहास और संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ का सूकà¥à¤·à¥à¤® जान पाना असंà¤à¤µ है। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में उनà¥à¤¹à¥€à¤‚ शाम के à¤à¤£à¥à¤¡à¤¾à¤° उपनिषदों की शिकà¥à¤·à¤¾à¤“ं को सरल शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया गया है, जिससे सामानà¥à¤¯à¤œà¤¨ à¤à¥€ को पढ़-सà¥à¤¨à¤•à¤° अपने जीवन को तदनà¥à¤¸à¤¾à¤° डाल सकें। उपनिषदॠही है जो
कर सकते हैं
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