Kalyan Varma Saravali Commentary by Dr. S.C. Mishra [RP]

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Description

ग्रन्थ परिचय

सारावली वास्तव में ज्योतिष प्रेमियों के गले में सुशोभित होने वाली हारावली ही है। 55 अध्यायों में लगभग 2500 श्लोकों द्वारा ज्योतिष शास्त्र की जातक शाखा का समस्त सार नवनीत लेकर ग्रंथकार ने इसकी रचना की थी। सातवीं सदी ईसा की यह रचना ज्योतिष शास्त्र की प्रथम श्रेणी की पाठ्य पुस्तकों में से एक है। प्रत्येक ज्योतिष प्रेमी के लिए अनिवार्य रूप से पठनीय इस पुस्तक में ग्रहों की दृष्टि का फल व नष्ट जातक का सटीक विचार तो अनूठा है ही, साथ में राजयोगों का विस्तृत व प्रामाणिक विवेचन भी यहाँ मिलेगा। गर्ग, पराशर, यवनेश्वर, कनक आचार्य, चूड़ामणि आदि के ग्रन्थों का सार ग्रन्थकार ने बड़ी कुशलता से इसमें गूंथ दिया है। बृहत् पाराशर व बृहज्जातक के अध्ययन के उपरान्त इसको पढे विना ज्योतिष स्वाध्याय आधा अधूरा-सा ही रह जाता है। आधान से निर्याण तक, निर्धन योगों से धनाढ्य योगों तक, सेवक-योगों से राजयोगों तक का अनूठा विचार राजा कल्याण वर्मा ने बड़ी सुन्दरता से किया है। ज्योतिष शास्त्र की इस अनूठी रचना को पढ़े बिना आप रह नहीं सकेंगे।

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