Kalyan Varma Saravali Commentary by Dr. S.C. Mishra [RP]
Description
गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ परिचय
सारावली वासà¥à¤¤à¤µ में जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के गले में सà¥à¤¶à¥‹à¤à¤¿à¤¤ होने वाली हारावली ही है। 55 अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में लगà¤à¤— 2500 शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤° की जातक शाखा का समसà¥à¤¤ सार नवनीत लेकर गà¥à¤°à¤‚थकार ने इसकी रचना की थी। सातवीं सदी ईसा की यह रचना जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤° की पà¥à¤°à¤¥à¤® शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ की पाठà¥à¤¯ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥€ के लिठअनिवारà¥à¤¯ रूप से पठनीय इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ का फल व नषà¥à¤Ÿ जातक का सटीक विचार तो अनूठा है ही, साथ में राजयोगों का विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ व पà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• विवेचन à¤à¥€ यहाठमिलेगा। गरà¥à¤—, पराशर, यवनेशà¥à¤µà¤°, कनक आचारà¥à¤¯, चूड़ामणि आदि के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ का सार गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¤•à¤¾à¤° ने बड़ी कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ से इसमें गूंथ दिया है। बृहतॠपाराशर व बृहजà¥à¤œà¤¾à¤¤à¤• के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के उपरानà¥à¤¤ इसको पढे विना जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ आधा अधूरा-सा ही रह जाता है। आधान से निरà¥à¤¯à¤¾à¤£ तक, निरà¥à¤§à¤¨ योगों से धनाढà¥à¤¯ योगों तक, सेवक-योगों से राजयोगों तक का अनूठा विचार राजा कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ वरà¥à¤®à¤¾ ने बड़ी सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤¾ से किया है। जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤° की इस अनूठी रचना को पढ़े बिना आप रह नहीं सकेंगे।
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