Kalyan Varma's Jataka Parijata [3 Vol Set] By V. Subramanya Sastri [RP]
Description
गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥-परिचय
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ "जातक पारिजात" शà¥à¤°à¥€ वैदà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤¥ दीकà¥à¤·à¤¿à¤¤ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· साहितà¥à¤¯ के नये रतà¥à¤¨à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है। 18 अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में विà¤à¤•à¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ रचनाकार ने निरà¥à¤¦à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¥‚प से पराशर मत का पूरà¥à¤£ आदर-समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करते हà¥à¤ अपने नवीन मत à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ को à¤à¥€ सारà¥à¤¥à¤• रूप में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है।
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का पठन "बृहजà¥à¤œà¤¾à¤¤à¤•" à¤à¤µà¤‚ 'सारावली' के मनन करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ करना, उचà¥à¤šà¤¤à¤¾ है। बृहजà¥à¤œà¤¾à¤¤à¤• की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ को धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ में रखकर कलà¥à¤¯à¤¾à¤£ वरà¥à¤®à¤¾ ने सारावली की रचना की। परंतॠसारावली में à¤à¥€ कà¥à¤› महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ विषयों के अà¤à¤¾à¤µ के कारण ही जातक पारिजात की रचना की गई है। वैदà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤¥ ने मत विवेचन में लकीर का फकीर होने
के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर अनà¥à¤à¤µ सिदà¥à¤§ बातों को खà¥à¤²à¥‡ हृदय से सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° कया है फलदीपिका जातक à¤à¥‚षण, जातक ततà¥à¤µ, अषà¥à¤Ÿà¤•à¤µà¤°à¥à¤— महानिबंध आदि उचà¥à¤š कोटि के गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨-सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर इस अदà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ का महतà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ होता है।
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ में और गà¥à¤°à¤¹ विवेचन, निरà¥à¤¯à¤¾à¤£ विवेचन, सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ जातक, विदà¥à¤¯à¤¾ व शिकà¥à¤·à¤¾ विचार दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ à¤à¤¾à¤µ à¤à¥€. मांगलिक विचार का अनूठापन, राजयोग à¤à¤‚ग का अदà¤à¥à¤¤ विचार आदि अनेक विषयों का खà¥à¤²à¤¾à¤¸à¤¾ बहà¥à¤¤ ही आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ के साथ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¤•à¤¾à¤° ने किया है। जातक पारिजात सà¥à¤µà¤¯à¤‚ संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ लेकिन सारगà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥€ होते हà¥à¤ फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· का उचà¥à¤š शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ का अनूठा गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ है, जो पाठक के हृदय में उठने वाले पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ का समà¥à¤šà¤¿à¤¤
समाधान करता है।
यह गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚à¤à¤¿à¤• अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨à¤•à¤°à¥à¤¤à¤¾à¤“ à¤à¤µà¤‚ शोधकरà¥à¤¤à¤¾à¤“ं के लिठउपयोगी à¤à¤µà¤‚ सारà¥à¤¥à¤• सिदà¥à¤§ होगा।
समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ 2 à¤à¤¾à¤—ों में (अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ 18)
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