Kalachakra Dasa Se Phalit By Pt. Girish Chandra Joshi (Hindi) [AP]
Description
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾
पूरà¥à¤µ जनà¥à¤®à¥‹à¤‚ के पà¥à¤£à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª से बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤²à¥€à¤¨ मंतà¥à¤° गà¥à¤°à¥ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¥à¤® जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· गà¥à¤°à¥ योगी à¤à¤¾à¤·à¥à¤•à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी à¤à¤µà¤‚ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· गà¥à¤°à¥à¤¦à¥‡à¤µ महरà¥à¤·à¤¿ के à¤à¤¨. राव जी के अदृशà¥à¤¯ आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ से पंचम वेद जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· पर लेखन की यातà¥à¤°à¤¾ वरà¥à¤· 1997 से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ हà¥à¤ˆ, जो योगी à¤à¤¾à¤·à¥à¤•à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी की जीवनी से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ होकर जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· जगत में लà¥à¤ªà¥à¤¤à¤ªà¥à¤°à¤¾à¤¯ हो चà¥à¤•à¥€ परमायॠदशा के गणित फलित à¤à¤µà¤‚ परमायॠदशा की सहायता से पाम तथा पाराशर के योगà¥à¤¯ आयॠके सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ का समनà¥à¤µà¤¯ करते हà¥à¤ आयॠनिरà¥à¤£à¤¯ पर दो लघॠशोध पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤¿à¤•à¤¾à¤“ं का लेखन पूरà¥à¤£ होने के उपरानà¥à¤¤ à¤à¥€ मन में यह कसक यनी रहो कि अरिषà¥à¤Ÿ विचार हेतॠमहरà¥à¤·à¤¿ पाराशर की अनमोल मणि कालचकà¥à¤° दशा की गणना विधि को सरलीकृत कर तथा पà¥à¤°à¤®à¤¾à¤£à¤¿à¤• फलित सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को कà¥à¤°à¤®à¤¬à¤¦à¥à¤§ कर à¤à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤à¥€à¤•à¤°à¤£ किया जा सके ताकि जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· जगत के विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• शà¥à¤°à¤® व अनà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की कà¥à¤²à¤¿à¤·à¥à¤Ÿà¤¤à¤¾ से बचाता है अलà¥à¤ª समय में देशानà¥à¤¤à¤° दशा गणना हेतॠसरलीकृत विधि को सरल à¤à¤¾à¤·à¤¾ शैली में महरà¥à¤·à¤¿ पाराशर की इस कारनाक दशा रूपी मणि को पिरोया जा सके। मेरे दिवà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¾ गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ से यह कारà¥à¤¯ छ. मास के अथक परिशà¥à¤°à¤® से पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सका। जिसमें सहायता मेरे गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ की अदृशà¥à¤¯ कृपा से शà¥à¤°à¥€ विरेनà¥à¤¦à¥à¤° नौटियाल के रूप में à¤à¤• शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤µà¤¾à¤¨ शिषà¥à¤¯ मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤†à¥¤ जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ गणित खणà¥à¤¡ का कारà¥à¤¯ पूरा किण। अथ समà¥à¤à¤µà¤¤à¤¯à¤¾ मेरे देवतà¥à¤²à¥à¤¯ गà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤—ी à¤à¤¾à¤·à¥à¤•à¤°à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ जी के आदेशानà¥à¤¸à¤¾à¤° मेरी लेखन का संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ पातà¥à¤°à¤¾ के विराम का समय आ गया है। अब शेष जीवन उनके आदेशानà¥à¤¸à¤¾à¤° निधन विदà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की सेवा में अगà¥à¤°à¤¸à¤° होने लगा है। परनà¥à¤¤à¥ आगे अपने तो अपने गà¥à¤°à¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ के आशीरà¥à¤µà¤¾à¤¦ के थ में औ विरेनà¥à¤¦à¥à¤° नौटियाल जी को शेष कारà¥à¤¯ हसà¥à¤¤à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ यह आशा करता है कि à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ में यह जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· जगत की सेवा में कà¥à¤› महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ शोध अपनी लेखनी से दे पागे। गत à¤à¤• दशक में मेरी इस शोध व लेखन थाा में मेरी पूनà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ जयनà¥à¤¤à¥‹ गायो, अगिन शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¤à¥€ नंदा देवी, जà¥à¤¯à¥‡à¤·à¥à¤ पà¥à¤¤à¥à¤° मनोन
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