JYOTISH KALPANDRUM

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Description

मैंने सम्बत् १९५८ में "ज्ञान प्रदीप” नामक ग्रन्थ सुबोधिनी भाषा टीका सहित तयार करके श्री वेंकटेश्वर' स्टीम प्रेस बम्बई में सपना था तुझको ऐसा निश्चय नहीं था कि जो गुणयुम्द उस तुच्छ ग्रन्थ की ऐसी गुणज्ञता करेंगे कि थोड़ेही काल में सम्पूर्ण भारतवर्ष में उस ग्रन्थका प्रचार होगया. सज्जनोंकी यह गुणग्राही देख मेरे उत्साहकी अत्यन्त वृद्धि हुई है । अतएव अबकी बार मैं "ज्योतिष कल्पद्रुम नामक ग्रन्थ स्वयम् रचकर प्रकाशित करवाई जिसके प्रथममागमें मैंने "जिनेन्द्र माला का भाषानुवाद प्रकाशित किया है। यह अर्थ ( जिनेन्द्र माला ) आजतक कहीं प्रकाशित नहीं हुआ है और मूल ग्रन्थ तो अभीतक नहीं देखनेमें ही नहीं आया केवल अंग्रेजी अनुवाद इस ग्रन्थ को एन् चिदम्बरम् अय्यर बी. ए. ने सम्पादित करके के. आर. प्रेस २८९ थम्बोचेट्टी स्ट्रीट मराठी में छपवाया था उसी अंग्रेजी भाषा का अनुवाद मैंने सरल हिन्दीभाषामें करके इस ग्रन्थ में प्रकाशित है। ज्योतिष शास्त्र के तीन भाग हैं संहिता, तंत्र और होरा-संहिता में प्राकृतिक ज्यो तिषका वर्णन है. जैसे सुभिक्ष, दुर्भिक्ष, वृष्टि अतिवृष्टि, अनावृष्टि, अग्नि भक, राजकीय उपद्रव इत्यादि जो प्राकृतिक और तंत्र में गणित ज्योतिष का वर्णन है अर्थात सूर्य चन्द्र स्पष्ट करना ग्रहण बनाना इत्यादि बातें जिनका सम्बन्ध गणित से हैं और होरामें फलित ज्योतिका वर्णन अर्थात हर एक प्राणी का जन्म काल के ग्रहों की स्थितिपरसे उसके समग्र जीवनका वृत्तान्त समझनेकी रीति लिखी हे । प्रश्न शास्त्र होरा में सम्मिलित है प्रश्न शास्त्र के बहुतसे ग्रन्थ

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