Jyotish Ganit Avam Khagol Shastra By Vimal Prasad [AP]
Description
डॉ. ओंकार नाथ चतà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦à¥€ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¤¾à¤šà¤¾à¤°à¥à¤¯ (à¤à¤¿à¤¡à¤¼à¤¾à¤¨à¤¾ फलित) à¤à¤®.à¤.डी.à¤à¤š.डी.
à¥à¥€à¤‚ और (जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· विà¤à¤¾à¤—)
आमà¥à¤–
जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤®à¤¤à¤¿ गà¥à¤°à¤¹ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° दीनां गति सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤®à¥à¤¬à¤¾à¤§à¤¿à¤•à¥ƒà¤¤à¥à¤¯à¤•à¥ƒà¤µà¤‚शासà¥à¤¤à¥à¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤ªà¤®à¥à¥¤ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ वाले गà¥à¤°à¤¹ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° आदि पिणà¥à¤¡à¥‹à¤‚ की गति व सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ की समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• जानकारी देने वाला गोमित शासà¥à¤¤à¥à¤° कहलाता है। इसके मà¥à¤–à¥à¤¯ तीन à¤à¥‡à¤¦ बतलाये गये हैं। सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त (गणित) जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· 2. होरा (जातक) शासà¥à¤¤à¥à¤° 3, संहिता। होराशासà¥à¤¤à¥à¤° की शाखा रूप पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ शासà¥à¤¤à¥à¤° à¤à¤µà¤‚ शकà¥à¤¨ शासà¥à¤¤à¥à¤° की à¤à¥€ गणना पà¥à¤¥à¤• रूप से करने के कारण पाà¤à¤š à¤à¥‡à¤¦ à¤à¥€ माने जाते हैं किंतॠआदिकाल से निसà¥à¤•à¤¨à¥à¤§ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· की ही पà¥à¤°à¤¸à¤¿à¤¦à¥à¤§à¤¿ रही है।
1. सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ (गणित)- सृषà¥à¤Ÿà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ से पà¥à¤°à¤²à¤¯à¤ªà¤°à¥à¤¯à¤¨à¥à¤¤ काल की गणना, कालों के मान à¤à¤µà¤‚ à¤à¥‡à¤¦, गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ का चार वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ à¤à¤µà¤‚ अवà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤ दोनों पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का गणित, शंका समाधान हेतॠउतà¥à¤¤à¤° के सहित पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ करने की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ à¤à¥‚मि सहित सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ वैध पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ का ठीक-ठीक जà¥à¤žà¤¾à¤¨ करने के लिठयनà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿ की निरà¥à¤®à¤¾à¤£ विधि का जिस शासà¥à¤¤à¥à¤° में वरà¥à¤£à¤¨ मिलता हो उसे सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤ कहा गया है।
2. होरा शासà¥à¤¤à¥à¤° (जातक)- कालसूचक अहोरातà¥à¤° शबà¥à¤¦ में से आदि à¤à¤µà¤‚ अनà¥à¤¤ के अकà¥à¤·à¤°à¥‹à¤‚ का लोप करने पर "होरा" शबà¥à¤¦ रोष रहता है. होरा शबà¥à¤¦ मूल रूप से काल को सूचित करने वाले गà¥à¤°à¤¹ नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° के जà¥à¤žà¤¾à¤¨ का संकेत देता है उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ (जनà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤°à¥€) के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ जातक (उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने वाले पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€) के.
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à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ बतà¥à¤¤à¥€à¤¸à¥€
पà¥à¤°à¥‡à¤® à¤à¤¾à¤µ हो सब जीवों से, गà¥à¤£à¥€ जनों में हरà¥à¤· पà¥à¤°à¤à¥‹à¥¤ करà¥à¤£à¤¾-सà¥à¤°à¥‹à¤¤ बहे दà¥à¤–ियों पर, दà¥à¤°à¥à¤œà¤¨ में मधà¥à¤¯à¤¸à¥à¤¥ विà¤à¥‹ ॥१॥ यह अनंत बल-शील आतà¥à¤®à¤¾, हो शरीर से à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤à¥‹à¥¤ जà¥à¤¯à¥‹à¤‚ होती तलवार मà¥à¤¯à¤¾à¤¨ से, वह अननà¥à¤¤ बल दो मà¥à¤à¤•à¥‹ ॥ २ ॥ सà¥à¤–-दà¥à¤– वैरी बनà¥à¤§à¥ वरà¥à¤— में, कांच-कनक में समता हो । जन-उपवन पà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤¾à¤¦ कà¥à¤Ÿà¥€ में, नहीं खà¥à¤¦ नहीं ममता हो ॥३॥ जिस सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤°à¤¤à¤® पथ पर चलकर, जीते मोह मान मनà¥à¤®à¤¥' । वह सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° पथ ही पà¥à¤°à¤à¥ । मेरा, बना रहे अनà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¨ पथ ॥४॥ à¤à¤•à¥‡à¤¨à¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯ आदिक पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥€ की, यदि मैंने हिंसा की दो । शà¥à¤¦à¥à¤§ हृदय से कहता हूं वह, निषà¥à¤«à¤² हो दà¥à¤·à¥à¤•à¥ƒà¤¤à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤à¥‹ ॥५॥ मोकà¥à¤·à¤®à¤¾à¤°à¥à¤— पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥‚ल परिवरà¥à¤¤à¤¨, जो कà¥à¤› किया कषायों से । विपथ-गमन सब कालà¥à¤· मेरे, मिट जावें सदà¥à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ से ॥६॥ चतà¥à¤° वैदà¥à¤¯ विष विकà¥à¤·à¤¤ करता, तà¥à¤¯à¥‹à¤‚ पà¥à¤°à¤à¥ ! मैं à¤à¥€ आदि उपांत। अपनी निनà¥à¤¦à¤¾ आलोचन से, करता हूं पापों को शांत ॥à¥à¥¥ सतà¥à¤¯ अहिंसा दिन वà¥à¤°à¤¤ में à¤à¥€, मैंने इदय मलीन किया। वà¥à¤°à¤¤ विपरीत-परिवरà¥à¤¤à¤¨ करके, शीला चरण' विलीन' किया ८ ॥ कà¤à¥€ वासना की सरिता का, गहन सलिल मà¥à¤ पर छाया। पी-पीकर विषयों की मदिरा, मà¥à¤à¤®à¥‡à¤‚ पागलपन आया ॥९॥ मैंने बाली और मायावी, हो असतà¥à¤¯à¤¾à¤šà¤°à¤£ किया। पर-निंदा गाली चà¥à¤—ली जो, मà¥à¤‚ह पर आया वमन कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¥¥à¥§à¥¦ ॥ निरà¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨ उजà¥à¤œà¤µà¤² मानस हो, सदा सतà¥à¤¯ का धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ रहे । निरà¥à¤®à¤²-जल की सरिता सदृश, हिय में निरà¥à¤®à¤² जà¥à¤žà¤¾à¤¨ बडे ॥ ११॥
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