Jyotish Aur Roga (Vol 1 & 2) By Krishna Kumar [AP]

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Description

विषय सूची

भाग-एक

अध्याय-1 पष्ठ भाव विचार

षष्ठ भाव क्या है. लग्नाधि योग, त्रिषडाय त्रिक भाव अन्य निवेश की त्रिक भाव में स्थिति का फल: विशेष फल विचार, त्रिक भावों के कारकत्व, जिक भावों का परस्पर संबंध; पृष्ठ भाग शुभ या अशुभ त्रिक भावों को स्थान कहना अनुचित, समीक्षा।

अध्याय-2 रोग व आरोग्य

रोग क्या है, स्वस्थ कौन, ज्योतिष में स्वास्थ्य विचार, लग्न-लग्नेश-शुभ कर्तरी योग-निष्पाप चंद्रमा, शुभ ग्रह शुभ स्थान में तथा पापग्रह दुःस्थान में, लग्न व लग्नेश का राशि बल, त्रिकेश का त्रिक बंधन शुभ है, अष्टमेश बलिया शनि अष्टमस्थ, बली लग्न से बेहतर स्वास्थ्य, रुग्ण देह या दुर्बल शरीर, लग्न व लग्नेश की दुर्बलता, चंद्रमा का पापत, त्रिपुरा में ग्रह का अभाव, केन्द्र/त्रिकोण में क्रूर ग्रह की स्थिति, अष्टमेश की निर्बलता आरोग्य लाभ या रोग से मुक्ति, उदाहरण कुंडलियां अधोभाग की दुर्बलता, मांसपेशियों की बढ़ती दुर्बलता, दुर्बल मांसपेशियां, मांसपेशियों की कमजोरी, विवर्धन व समीक्षा।

अध्याय-3 रोगों का वर्गीकरण

रोगों के दो वर्ग-जन्मजात आगन्तुक, अल्पावधि या दीर्घकालिक, शारीरिक-मानसिक, रोगों के तीन वर्ग. पित्त वात. कफ रोगों के पांच वर्ग आकाश-वायु-अग्नि-भूमि-जल, रोगों के सात वर्ग-अस्थि, रुधिर, मांस मज्जा, मैद, धमनियां, स्नायु, वीर्य त्वचा, द्वादश भाव तथा देह अवयव, द्वादश भाव से रोग विचार, लग्नस्थ द्रेष्काण से अंग विचार, समीक्षा। अध्याय-4 ग्रहों से रोग विचार

सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, शुक्र, शनि, राहु केतु अरुण (यूरेनस) वरूण

(नेपच्यून), यम (प्लूटो). द्वादश ग्रहों के रोग: ग्रह अवयव रोग बोधक

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