Jataka Satyacharya of Rishi Satyacharya By Dr. G.S. Kapoor [RP]

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Description

इस पुस्तक में फलित ज्योतिष के सिद्धांतों और नियमों के सम्बन्ध में ऐसी अतुल्य सामग्री है जिससे ज्योतिष के पाठक अभी तक अपरिचित हैं। प्रत्येक ज्योतिष प्रेमी के लिए यह पुस्तक अत्यंत ज्ञानवर्धक, मार्गदर्शक और उपयोगी प्रमाणित होगी। इसको अपूर्व बनाने वाले जो विशेष विषय हैं, वे ये हैं-

नक्षत्र सिद्धान्त

ग्रहों की विभिन्न नक्षत्रों में स्थिति के अनुसार उनके जो फल प्राप्त होते हैं, उनके सम्बन्ध में इस पुस्तक में ऐसी अतुल्य सामग्री दी गयी है जो ज्योतिष की अन्य पाठ्य पुस्तकों में प्राप्त नहीं है। इस पुस्तक में भूगोल का विस्तृत विवरण दिया गया है। विभिन्न भावाधिपतियों के द्वादश भावों में स्थित होने से जो 144 योग बनते हैं, उनके फलों का भी पूर्ण विवरण दिया गया है। यह सामग्री ग्रहों और भावों के

कारकत्व तथा पंच सिद्धांत के नियमों के सूक्ष्म और तर्कसंगत विश्लेषण पर आधारित है। नवमांश चक्र और गोचर फल के विचार के अनेकों अनूठे नियम भी

इस पुस्तक में समाविष्ट है। लगभग आधी पुस्तक दशाफल विचार के सम्बन्ध में है। दशा पद्धति

दशाफल विचार

के विस्तृत विवरण में प्रत्येक भाव के अधिपति के द्वादश भावों में स्थित

होने पर उसकी दशा का फल दिया गया है।

लग्न विचार

पुस्तक के परिशिष्ट में द्वादश लग्नों में जन्मे जातकों के स्वाभाविक गुणावगुणों का स्पष्ट और विस्तृत विवरण दिया गया है।

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