Hasta Pariksha Dwara Rog Nirnaye By Prof O P Verma [RP]
Description
विषयानà¥à¤•à¥à¤°à¤®à¤£à¤¿à¤•à¤¾
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾
पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤•à¤¥à¤¨
वरà¥à¤—ाकार हाथ, चमसाकार हाथ, नà¥à¤•à¥€à¤²à¥‡ हाथ, शंकà¥à¤¨à¥à¤®à¤¾ हाथ, दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• हाथ, कोमल हाथ,
हाथों की बनावट
कठोर हाथ, हाथों का रंग और सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾, अंगूठा 2. उंगलियां - उंगलियों के सिरों पर चिहà¥à¤¨
3. अंगà¥à¤²à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के नाखून - सà¥à¤¨à¤¾à¤¯à¥ तथा मानसिक विकार और नाखून, कणà¥à¤ विकार और नाखून, तपेदिक और नाखून, लकवा और नाखून, परà¥à¤µà¤¤, गà¥à¤°à¥ परà¥à¤µà¤¤, शनि परà¥à¤µà¤¤, सूरà¥à¤¯ परà¥à¤µà¤¤, बà¥à¤§ परà¥à¤µà¤¤, मंगल परà¥à¤µà¤¤, शà¥à¤•à¥à¤° परà¥à¤µà¤¤, चनà¥à¤¦à¥à¤° परà¥à¤µà¤¤
4. हाथों की रेखाà¤à¤‚
जीवन रेखा
मसà¥à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤• रेखा
à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ रेखा
हृदय रेखा
बà¥à¤§ रेखा
मंगल रेखा
राहॠरेखा
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾
की रेखाओं का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ à¤à¤• कठिन विषय है और उसे कारà¥à¤¯-ूप देना और à¤à¥€ कठिन है। बहà¥à¤¤ से लोग यह अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ बड़े उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ से आरमà¥à¤ करते हैं, किनà¥à¤¤à¥ विरले ही इस कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में लगातार बने रहते हैं हाथों के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रोगों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के लिये विशेष पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° को कà¥à¤¶à¤²à¤¤à¤¾ की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है। इसके लिठहसà¥à¤¤à¤°à¥‡à¤–ाविदॠको हाथों के मनोवैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• और जैविक पहलॠशरीर-रचना व कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ और रोगसà¥à¤¤à¤¤à¤¾ के दौरान शरीर में जो विकार उतà¥à¤ªà¤¨ होते हैं उनकी पूरी जानकारी होनी चाहिà¤à¥¤ रोग-निदानी हसà¥à¤¤à¤°à¥‡à¤–ाविदॠको उपरोकà¥à¤¤ जानकारियों का हाथ के चिहों के साथ समनà¥à¤µà¤¯ करके रोग का निदान करना होता है।
सà¥à¤µà¤¿à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¤ हसà¥à¤¤à¤°à¥‡à¤–ाविदॠडबà¥à¤²à¥à¤¯à¥‚ जी. बेनà¥à¤¹à¤®, नोà¤à¤² जैकà¥à¤µà¤¿à¤¨, रोग विजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¥€ हसà¥à¤¤à¤°à¥‡à¤–ा विद डॉ. चारलोटी वूलà¥à¤«, और डॉ. यूजोन शीमेन ने हसà¥à¤¤à¤°à¥‡à¤–ा विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ को अपने अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ से समृदà¥à¤§ बनाकर मानवता की महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सेवा को है। रोग-निदानी हसà¥à¤¤à¤°à¥‡à¤–ाविदॠको चिकितà¥à¤¸à¤¾ के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ डाकà¥à¤Ÿà¤°à¥‹à¤‚ से लगातार संवाद बनाये रखना होता है। उसमें रोगों की उतà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ वृदà¥à¤§à¤¿ की गूढता à¤à¤µà¤‚ जटिलता को सूकà¥à¤·à¥à¤®à¤¤à¤¾ से समà¤à¤¨à¥‡ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ रà¥à¤à¤¾à¤¨ होना चाहिà¤à¥¤
इस रचना के लेखक ने अपने पूजà¥à¤¯ गà¥à¤°à¥ जी सà¥à¤µà¤°à¥à¤—ीय शà¥à¤°à¥€ पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª सिंह जी चौहान के मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ में सनॠ1972 में हसà¥à¤¤à¤°à¥‡à¤–ा विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ आरमà¥à¤ किया था। गà¥à¤°à¥ जी ने लेखक के हाथ देखकर उसे हसà¥à¤¤à¤°à¥‡à¤–ा विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ करने की पà¥à¤°à¥‡à¤°à¤£à¤¾ दी। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने नोटà¥à¤¸ दिये और अपने हो दैननà¥à¤¦à¤¿à¤¨ हसà¥à¤¤-पठन कारà¥à¤¯ के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ लेखक को अनà¥à¤à¤µ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया सौà¤à¤¾à¤—à¥à¤¯ से लेखक के कà¥à¤› मितà¥à¤° और समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ à¤à¥€ चिकितà¥à¤¸à¤¾ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ हैं।
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