Grah Aur Santaan {VP}
Description
विषय पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶
अब यो बाब सोका मनà¥à¤·à¥à¤¯ लोकः पितृत पोको देवलोक इति सोयं
मनà¥à¤·à¥à¤¯-लोक पà¥à¤¤à¥à¤°à¥‡à¤£ जपà¥à¤¯à¥‹ मानà¥à¤¯ न करà¥à¤®à¤£à¤¾ पितृलोक
विपà¥à¤°à¤¯à¤¾ देवलोको देवालोको वे लोकानां शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ सà¥à¤¤ तसà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥ विदà¥à¤¯à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤‚तानà¥à¤¤à¤¿à¥¤à¥¤
इस मा को तीन सालों में विà¤à¤¾à¤œà¤¿à¤¤ किया गया है मनà¥à¤·à¥à¤¯ लोक पितृलोक à¤à¤µà¤‚ देवलोक। à¤à¤• आम वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ जिसको जीवन का सार धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ अथ ठपाजन, à¤à¥‹à¤œà¤¨ व परियार पृदà¥à¤§à¤¿ में ही रहता है. मनà¥à¤·à¥à¤¯ कहलाता है। अपनी इ जो इसà¥à¤²à¥‹à¤‚ की à¤à¤²à¤¾à¤ˆ हेतॠअपना धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ केंदà¥à¤°à¤¿à¤¤ करते हैं पितृ कहलाते हैं तथा को आपने जान का पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ जगत में फैलाते है à¤à¤µà¤‚ à¤à¤• उच दरà¥à¤¶à¤¾à¤¨ को बात करते हैं देश कहलाते मनà¥à¤·à¥à¤¯ लोक परंपरा दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ को जाती है और निà¥à¥à¤° अपने को हाय हो समà¤à¥‹à¥¤ विलाप करà¥à¤®à¥‹à¤‚ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ विजय पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ की है चकि फितॠसदैय जगावलà¥à¤¯à¤¾à¤£ में लिखते है। देवलोक पर विदà¥à¤¯à¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बिजय पई जाती है। देव स आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨ आते हैं और इसी कारण विदà¥à¤¯à¤¾ की पà¥à¤°à¤¶à¤¸ की जाती है।
देवलोक मातम कहा जाता है।
सà¤à¥€ पारंपरिक समाज में विशेषतया à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ में मानव जीवन के आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤•
बाला के चार सà¥à¤¤à¤° है। यूरिक सà¥à¤¤à¤° मानवीय आधार पर निशा, उसकार, à¤à¤µà¤‚ मैथून। या तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ और पशॠमें कोई अंतर नहीं। दूसरा सà¥à¤¤à¤° है, सदना या जीवन में पकने पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• पटना डमा रोग। हाय मृतà¥à¤¯à¥ मा पा सदैव सा है। इनको समà¤à¤¨à¥‡ à¤à¤µà¤‚ इससे निपटने के लिठमानव के यà¥à¤—ों में कई विषयों जैसे दया मनोविजà¥à¤žà¤¾à¤¨ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· आदि का अधिकार किया है। तीसरा सà¥à¤¤à¤° । बौदà¥à¤§à¤¿à¤• जिससे फलसफा जनà¥à¤® लेता है. उपनिषदों में समाहित हान से संकर पाशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥à¤¤à¥à¤¯ उथला सन जिसने कà¤à¥€ सतà¥à¤¯ को जाना हो नहीं। हिनà¥à¤¦à¥ दरà¥à¤¶à¤¨ साकà¥à¤·à¤¾à¤¤ अनà¥à¤à¤µà¥‹à¤‚ पर आधारित है, सतà¥à¤¯ पर आधारित है अतः दरà¥à¤¶à¤¨ कहलाला है फलसफा नहीं। बीचà¥à¤¯à¤¾ सà¥à¤¤à¤° है आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• जिसके समूचे विशà¥à¤µ के सà¤à¥€ देशों में तथा सà¤à¥€
समाजों में कà¥à¤› लोग पास है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ सà¤à¥à¤¯à¤¤à¤¾ में महान ऋषियों ने इन थारो रतà¥à¤¨à¥‹à¤‚ को à¤à¤• सूतà¥à¤° में पिरोया तथा उस महान पà¥à¤£à¥‡ में काम के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उतना हो संवेदन अणितना कि मानव जीवन के à¤à¤µà¤‚ कारणों को जानना।
Opps
Sorry, it looks like some products are not available in selected quantity.