Gomed By Jagadish Sharma [Hindi] [MiscP]

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Description

ज्‍योतिष के आधार पर रत्‍नों का चयन और उनकी धारणविधि बहुत ही महत्‍वपूर्ण है। जो प्रकृति विष बनाती है वही अमृत भी बनाती है। अत कौन-सा रत्‍न धारण करना उपयोगी और फलदायी है, कौन-सा कष्‍टकारक बन सकता है, यह ज्‍योतिष विज्ञान की सहायता से पता लगाया जा सकता है। कौन-सी राशि का व्‍यक्ति कौन-से रत्‍न धारण करे, यह इस पुस्‍तक से अत्यंत सुगम हो जायेगा। इस पुस्‍तक के लेखक हैं ज्‍योतिष के प्रकाण्‍ड पंडिण्‍त राधाकृष्‍ण श्रीमाली, जिन्‍होंने इस विषय का गहन अध्‍ययन किया है। 
 
यह सत्य है कि न धारण करने से अनेक असाध्य रोग

व बीमारियां मिट जाती हैं। दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है। प्रतिकूल ग्रह-गोचरों को अनुकूल बनाया जा सकता है। अर्थात सभी प्रकार की उन्नति के लिए रत्न धारण करना अत्यंत श्रेयस्कर माना जाता है। लर्न हमें शुभ-अशुभ कार्य होने का पूर्वानुमान भी कराते हैं । ये रत्न जाति, धर्म, संप्रदाय से हटकर सभी मानव को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। नौ रत्नों में 'गोमेद' का स्थान महत्वपूर्ण बताया गया है। मानवीय जीवन पर इसका प्रभाव बड़ा ही विचित्र होता है। यदि धारणकर्ता को सूट किया तो दर-दर ठोकरें खाने वाले को राजमहल में पहुंचा दे। यदि सूट नहीं किया तो सिंहासन पर से उतरवाकर जंगल-जंगल भटका दे, समझिए उसे ही गोमेद कहते हैं। पं. नेहरू, इंदिरा

गांधी गोमेद के ही कृपापात्र रहे हैं तमाम रोगों में तो यह

औषधि का कार्य करता है। यह तंत्र-मंत्रों की सिद्धियां व

अलौकिक शक्तियों का प्रदाता होता है।

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