CHAMATKARI RATAN AUR RUDRAKSHAYA

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Description

विशेषताओं, गुणों, उपयोगों, मूल्यांकन किया गया है। वास्तु सौंदर्यशास्त्र तथा एवं ऐश्वर्य वस्तुओं निर्माण में भी के विभिन्न प्रयोग राजाजी तथा धनवान व्यक्तियों लिए होते रहे हैं। व्यक्ति हो मूर्ति, अलंकार सिंहासन-रत्नों सभी महत्वपूर्ण स्थान सदा से ही दिया जाता रहा अपने मूल्य, दुर्लभता तथा आकर्षण कारण रत्नों के संदर्भ में लूट, चोरी, हिंसा, तक के अपराध हैं। का महत्व लोकप्रियता/मान्यता इसी से प्रकट हो जाती कि विभिन्न क्षेत्रों में विभूतियों को सम्मानित करने के लिए उन्हें की उपाधि जाती रही है।

जैसे-सम्राट अकबर तथा सम्राट विक्रमादित्य और राजा भोज के दरबार

नवरत्न। तथा बाद में प्रचलित होने वाली अनेक सम्मानजनक उपाधियां यथा-भारत 'साहित्य रत्न', रत्न' आदि। धार्मिक तथा महत्व की दृष्टि से रुद्राक्ष भी रत्नों से कम सिद्ध नहीं होते। उनके मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक, धार्मिक तथा चिकित्सकीय रुद्राक्षों भी प्राप्त होते हैं तथा रत्नों की अपेक्षा अत्यंत सस्ते तथा सरलता उपलब्ध होने वाले भी

रत्नों और रुद्राक्षों के उपयोग, प्रभाव तथा लाभ अत्यंत विस्तृत सभी को एक पुस्तक समेट सकना गागर में सागर भरने के समान दुष्कर है। प्रस्तुत पुस्तक रत्नों और रुद्राक्षों की मूलतः ज्योतिषीय दृष्टि से लाभ-प्रभाव की विवेचना की गई है। प्रसंगवश कुछ चिकित्सकीय औषधीय तथा धार्मिक लाभों की भी चर्चा हुई है। रुद्राक्षों का परिचय, इतिहास, शुद्धता की पहचान, एवं परीक्षण, उनकी उपलब्धता, प्रकार तथा पर्यायवाची नामों के विवरण के साथ उनके लाभ प्रभाव की को भी स्पष्ट किया गया उनको धारण करने की विधि, समय, मंत्र

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