BRASHPATI (बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ गà¥à¤°à¤¹ )
Description
गà¥à¤°à¤¹ गाथा शà¥à¤°à¥ƒà¤‚खला की पंचम पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ आपके हाथ में है। इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ गà¥à¤°à¤¹ से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€à¤¯ विषयों का उलà¥à¤²à¥‡à¤– विसà¥à¤¤à¤¾à¤° पूरà¥à¤µà¤• किया गया गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ के बारे में समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ जानकारी पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने के दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ से गà¥à¤°à¤¹ गाथा मà¥à¤‚खला को पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ को पाठकों ने अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• सराहा है। इस पà¥à¤°à¤¶à¤‚सा ने निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से मैरा आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ चला है। अब और उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ के साथ में शेष नहीं की पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ को पाठकों के समकà¥à¤· पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ कर
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ पाठकों के लिये अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤°à¥à¤¦à¥à¤§à¤• à¤à¤µà¤‚ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· की जानकारी बढ़ाने वाली सिदà¥à¤§ होगी। बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ का नवगà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ में अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। इस गà¥à¤°à¤¹ को सबसे अधिक शà¥à¤ और सà¥à¤– पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाला माना गया है। दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ में यहाठगà¥à¤°à¤¹ सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ का कारक बनकर जातक के जीवन को पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करता है। चालारिषà¥à¤Ÿ और अशà¥à¤ योगों का नाश करने के लिये महतà¥à¤¤à¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ रूप से बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ की à¤à¥‚मिका देखी जाती है। मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤, हसà¥à¤¤à¤°à¥‡à¤–ा, पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ लगà¥à¤¨ कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¥€, गोचर इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ का विचार करते समय à¤à¥€ इस गà¥à¤°à¤¹ का महतà¥à¤¤à¥à¤µ सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• माना गया है। कनà¥à¤¯à¤¾ की जनà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ में बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ को विवाह का नैसरà¥à¤—िक कारक माना जाता है। इन सà¤à¥€ फलों से सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ होता है कि बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ सà¤à¥€ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ में अपना विशिषà¥à¤Ÿ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ रखते हैं।
यह तो हà¥à¤ˆ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· तयों की यात, यदि बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ का पौराणिक सà¥à¤µà¤°à¥‚प देखें तो वह अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• समà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥€à¤¯ और मापूरà¥à¤£ है। बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ को देवगà¥à¤°à¥ माना जाता है। वे समसà¥à¤¤ देवताओं के लिये à¤à¥€ पूजनीय होते हैं। पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ में उनके परिवार का वरà¥à¤£à¤¨ मिलता है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ से समसà¥à¤¤ देवताओं को कृतारà¥à¤¥ किया है। नवगà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ में वे सबसे विशाल और à¤à¤¾à¤°à¥€ माने जाते हैं। यही समà¥à¤®à¤¾à¤¨ बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ को जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤° में à¤à¥€ मिला है।
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अब शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के तथà¥à¤¯à¥‹à¤‚ से बाहर आते हैं, वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤•à¤¤à¤¾ में जैसे अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¹ जनà¥à¤®à¤ªà¤¤à¥à¤°à¤¿à¤•à¤¾ में अपना फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करते हैं, वैसे ही बृहसà¥à¤ªà¤¤à¤¿ à¤à¥€ अपने फल देता है। वह शà¥à¤ और अशà¥à¤ दोनों पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के फल पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है। मारकेश होने पर वह मारक बनता है, तो शà¥à¤ योग बनाने पर अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• अनà¥à¤•à¥‚ल फल देने वाला होता है। फलादेश में गà¥à¤°à¥ का वही महतà¥à¤¤à¥à¤µ है, जो अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ का होता है। अशà¥à¤ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ वाला गà¥à¤°à¥ पितृदोष, दारिदà¥à¤¯ दà¥à¤ƒà¤—à¥à¤° सारोरिक कार पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाला होता है। सकट योग, चाणà¥à¤¡à¤¾à¤² योग, à¤à¤¾à¤—à¥à¤¯à¤¹à¥€à¤¨ योग जैसे अशà¥à¤ योग à¤à¥€ गà¥à¤°à¥ की नकारातà¥à¤®à¤• सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होते हैं। उसकी दशा में आवशà¥à¤¯à¤• नहीं है कि आपको सदैव शà¥à¤ फल ही पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हों ।
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