BHRIGU NAVNEETAM - BHRIGU SOOTRA TATHA BHRIGU SANHITA PAR AADHARIT )[HINDI] [AP]
Description
पà¥à¤°à¤¾à¤•à¥à¤•à¤¥à¤¨
हिनà¥à¤¦-नà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के पà¥à¤°à¤®à¥à¤– संसà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤•à¥‹à¤‚ में à¤à¤• à¤à¥ƒà¤—ॠऋषि à¤à¥€ थे। पितामह, कशà¥à¤¯à¤ª तथा गार के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤ ही à¤à¥‚ग का सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ वरीयता कà¥à¤°à¤® में आता है। वह परशà¥à¤°à¤¾à¤® के पिता थे। उनका जयपाल 5000-6000 वरà¥à¤· पूरà¥à¤µà¥¤ à¤à¥ƒà¤— वशिषà¥à¤ , यसशà¥à¤°, गाणे रामà¥à¤¯à¤¾ जमिनी से पूरà¥à¤µ हà¥à¤ थे। हिनà¥à¤¦à¥‹ होराशासà¥à¤¤à¥à¤° को à¤à¥‚गॠने सें सरà¥à¤µà¤ªà¥à¤°à¤¥à¤® ठस रूप पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करके पराशर, जैमिनी तथा यकनाचायोठके लिये मारà¥à¤— पà¥à¤°à¤¶à¤¸à¥à¤¤ कर दिया। अत: होरा शासà¥à¤¤à¥à¤° के आदि पà¥à¤°à¤µà¤°à¥à¤¤à¤• के रूप में à¤à¤¾ ही मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने के
सकà¥à¤·à¤® अधिकारी हैं।
à¤à¥ƒà¤—ॠकी सà¥à¤¾à¤§à¤¿à¤• विशà¥à¤µà¤¸à¤¨à¥€à¤¯ कृति हमको-मूतà¥à¤°à¤®à¥‡à¤¹ है जिसे गत सात हजार वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ से सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿-सà¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿ तथा ताल पतà¥à¤° के माधà¥à¤¯à¤® से लोगों ने चचाकर रखा है। à¤à¥ƒà¤—à¥-सूतà¥à¤°à¤®à¥ में सूरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ नौ यहाठके कà¥à¤‚डली के बाहर à¤à¤¾à¤œà¥‹à¤‚ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ होने पर जो संà¤à¤¾à¤µà¥à¤¯à¤«à¤² है उन दरà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤¾ गया है। सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है कि ये फल गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ तथा à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के कारक तया नैसरà¥à¤—िक गà¥à¤£à¥‹à¤‚ पर ही आधारित हैं। इसे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के पà¥à¤°à¤¥à¤® खंड में दरà¥à¤¶à¤¾à¤‚या गया है।
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ साउंड में तथाकथित à¤à¥‚-संहिता में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ यार à¤à¤¾à¤—ों के बारह à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ में क संà¤à¤¾à¤— जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ दरà¥à¤¶à¤¾à¤¯à¤¾ गया है।
तथा अनà¥à¤¯ धियों ने बहà¥à¤¤ फल à¤à¤¸à¥‡ à¤à¥€ बतायें हैं जो आज पà¥à¤°à¤¸à¤‚गहीन हो गये हैं तथा आज के परिवरà¥à¤¤à¤¨à¤¶à¥€à¤² यà¥à¤— में नये सिरे से à¤à¥€ कà¥à¤› फरà¥à¤¨à¤¾ पर विचार करना आवशà¥à¤¯à¤• हो गया है। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में मैंने दोनों ही पातà¥à¤“ं पर धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ देते हà¥à¤ जहाठआवशà¥à¤¯à¤• समà¤à¤¾ वहां कà¥à¤·à¥‡à¤ªà¤• अथवा टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ दे दी है।
वरà¥à¤· 1999 में निषà¥à¤•à¤¾à¤® पौठपà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¨, नई हिसरी दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ सेरो अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•
"Bhrigu Or Predictive Astrology" इस दिशा में पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ रही जिसका पाठकों ने
पà¥à¤°à¤œà¥‹à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤—त किया तथा दो वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ बाद हो उसका दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ संसà¥à¤•à¤°à¤£ निकालना पड़ा। वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• 'à¤à¥‚-नवनीतमà¥' उपरोकà¥à¤¤ अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का मंतà¥à¤° हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ न होकर उससे कई कदम आगे है। ओजी पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में कोई संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ शà¥à¤²à¥‹à¤• नहीं था जयकि वरà¥à¤·à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में à¤à¤¾à¤—-मूतà¥à¤° तथा à¤à¥ƒà¤—à¥- संहिता के सà¤à¥€ शà¥à¤²à¥‹à¤• देकर ही उनके हिनà¥à¤¦à¥€ अनà¥à¤µà¤¾à¤¦ दिये गये हैं। अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में बहà¥à¤¤ से नये तथा महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ कà¥à¤·à¥‡à¤ªà¤• और टिपà¥à¤ªà¤£à¥€ दिये गये हैं।
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