Bhava Manjari by Acharya Mukund Daivagnya [RP]

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Description

पुरोवाक्

भारतीय ज्योतिष की फलित शाखा ऋषियों, मुनियों व आचार्यों के निरन्तर चिन्तन से सतत् प्रवाहित है पराशर मुनि के होराशास्त्रादि ग्रन्थों के विशाल कलेवर के कारण लघु तथा सरल रूप में फलित ज्योतिष के आवश्यक सिद्धांत व फल-निर्देश की नीतियों के स्पष्टीकरण के लिए समय-समय पर विद्वानों ने अनेक प्रयत्न किए है विशेष रूप से भावफल ग्रहफल को आधार बनाकर जातकादेश मार्ग, खेटकौतुक, जातकालंकार, चमत्कार चिन्तामणि आदि पुस्तकों की रचना इस दिशा में मील के पत्थर सिद्ध हुए हैं। विषय का गौरव, शैली की सरलता व मधुरता के सम्मिश्रण का योग उक्त पुस्तक में होता है।

प्रस्तुत ग्रन्थ भावमंजरी विद्वान लेखक के दीर्घकालीन परिश्रम का परिणाम है। जैसा कि इसके नामकरण से ही स्पष्ट है, इसमें कुण्डली के बारह भावों के फल कथन का वैज्ञानिक प्रकार बताया गया है। समस्त आवश्यक विषय का एक स्थान पर सर्वांगीण विवेचन इसकी विशेषता है फलादेश का ग्रन्थ होने पर भी उपर्युक्त ग्रन्थों की अपेक्षा इसकी विशेषता स्पष्ट दृष्टिगोचर होगी।

जहां इन ग्रन्थों में भावस्थ ग्रह के अनुसार ही फलादेश बताकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ ली है, वहीं पर विद्वान् ग्रन्थकार ने इस विषय को अपनी रचना में विस्तार नहीं दिया है। कारण यह है कि इस विषय पर तो सर्वत्र चर्चा मिलती है। इन्होंने सामान्यतः भाव के बिलाल, भाव की तिथि, भान, नक्षत्र व मुहूर्त के आधार पर भाव की

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