Bhava Manjari by Acharya Mukund Daivagnya [RP]
Description
पà¥à¤°à¥‹à¤µà¤¾à¤•à¥
à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· की फलित शाखा ऋषियों, मà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ के निरनà¥à¤¤à¤° चिनà¥à¤¤à¤¨ से सततॠपà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ है पराशर मà¥à¤¨à¤¿ के होराशासà¥à¤¤à¥à¤°à¤¾à¤¦à¤¿ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के विशाल कलेवर के कारण लघॠतथा सरल रूप में फलित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के आवशà¥à¤¯à¤• सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त व फल-निरà¥à¤¦à¥‡à¤¶ की नीतियों के सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿà¥€à¤•à¤°à¤£ के लिठसमय-समय पर विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने अनेक पà¥à¤°à¤¯à¤¤à¥à¤¨ किठहै विशेष रूप से à¤à¤¾à¤µà¤«à¤² गà¥à¤°à¤¹à¤«à¤² को आधार बनाकर जातकादेश मारà¥à¤—, खेटकौतà¥à¤•, जातकालंकार, चमतà¥à¤•à¤¾à¤° चिनà¥à¤¤à¤¾à¤®à¤£à¤¿ आदि पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤•à¥‹à¤‚ की रचना इस दिशा में मील के पतà¥à¤¥à¤° सिदà¥à¤§ हà¥à¤ हैं। विषय का गौरव, शैली की सरलता व मधà¥à¤°à¤¤à¤¾ के समà¥à¤®à¤¿à¤¶à¥à¤°à¤£ का योग उकà¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में होता है।
पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ à¤à¤¾à¤µà¤®à¤‚जरी विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ लेखक के दीरà¥à¤˜à¤•à¤¾à¤²à¥€à¤¨ परिशà¥à¤°à¤® का परिणाम है। जैसा कि इसके नामकरण से ही सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ है, इसमें कà¥à¤£à¥à¤¡à¤²à¥€ के बारह à¤à¤¾à¤µà¥‹à¤‚ के फल कथन का वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बताया गया है। समसà¥à¤¤ आवशà¥à¤¯à¤• विषय का à¤à¤• सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण विवेचन इसकी विशेषता है फलादेश का गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ होने पर à¤à¥€ उपरà¥à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ की अपेकà¥à¤·à¤¾ इसकी विशेषता सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होगी।
जहां इन गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में à¤à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥ गà¥à¤°à¤¹ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° ही फलादेश बताकर अपने करà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ की इतिशà¥à¤°à¥€ समठली है, वहीं पर विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¤•à¤¾à¤° ने इस विषय को अपनी रचना में विसà¥à¤¤à¤¾à¤° नहीं दिया है। कारण यह है कि इस विषय पर तो सरà¥à¤µà¤¤à¥à¤° चरà¥à¤šà¤¾ मिलती है। इनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने सामानà¥à¤¯à¤¤à¤ƒ à¤à¤¾à¤µ के बिलाल, à¤à¤¾à¤µ की तिथि, à¤à¤¾à¤¨, नकà¥à¤·à¤¤à¥à¤° व मà¥à¤¹à¥‚रà¥à¤¤ के आधार पर à¤à¤¾à¤µ की
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