Bhav deepika [RP]

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[13:15, 10/8/2020] Raahul Lakhera: एक वृद्धि में भास्कराचार्य रचित

जन्म कुण्डली में नवग्रहों के द्वादश भावगत फल द्वादश भाव सम्बन्धी व्यावहारिक अनुभव सिद्ध योग लग्नेश तथा अन्य भावेशों की विभिन्न भावों में स्थिति तथा उनके परस्पर सम्बन्ध से जीवन पर प्रभाव शनि के विषय में महर्षि गर्ग एवं कवि कालिदास का मत आयु, स्वास्थ्य, सुख, उन्नति, अवनति, धन-वैभव किन साधनों से धन-लाभ? जातक धन कुबेर बनेगा या दीन व्यक्ति पाराशरी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ अशुभ ग्रह निर्णय योग कारक तथा कारक ग्रह, केन्द्राधिपति दोष राहु-केतु के शुभ और अशुभ रूप

कुंडली में आयु तथा कारक स्थान विशिष्ट राजयोग, राजभंग योग

द्वादश लग्नों के शुभ अशुभ ग्रह और उनकी दशा-अन्तर्दशा फल

उदाहरणस्वरूप ७० से अधिक कुण्डलियां
[13:15, 10/8/2020] Raahul Lakhera: विषय सूची भाव दीपिका

१-१२ भाव

ह-१०६

सूर्यादि ग्रहों का प्रथम भावगत फल, लग्न और लग्नेश पर अन्य ग्रहों, भावेश आदि के सम्बन्ध द्वारा योगों का वर्णन, जातक का रूप-रंग, स्वभाव, आयु आदि विभिन्न प्रकार के धन व समृद्धि के योग, धनागम संदेश से या विदेश से, शक्ति, विद्याओं में दक्षता भाई-बहिनों का सुख या दुःख, संख्या, पराक्रम, गृह तथा भूमि सम्पत्ति, सुख समृद्धि, वाहन प्राप्ति सन्तान प्राप्ति या सन्तानहीनता, दत्तक पुत्र, विभिन्न भाषाओं का ज्ञान, योग तथा शत्रु सम्बन्धी फल, पत्नी सुख, बहु विवाह, पर स्त्रियों से प्रेम सम्बन्ध, मृत्यु कब और किस प्रकार, माता-पिता की आयु का ज्ञान, मान-अपमान के योग,जातक के आचरण सम्बन्धी योग, धन-लाभ योग, व्यय शुभ कर्मों में या दुष्कर्मों में ?

भाव चन्द्रिका

१०७-१५६

एक अज्ञात ज्योतिष विशारद को फलित- ज्योतिष पर उपादेय दुर्लभ रचना, मंगली दोष पर विशेष विचार।

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