Bhav Bhavesh Phal Vichar By K.K.Pathak [AP]
Description
1. पà¥à¤°à¤¥à¤®à¥‡à¤¶ फलमà¥
2 धनेश (दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯à¥‡à¤¶) फलमà¥
3. तृतीयेश फलमà¥
4. चतà¥à¤°à¥à¤¥à¥‡à¤¶ फलमà¥
5. पंचमेश फलमà¥
6. षषà¥à¤ ेश फलमà¥
7. सपà¥à¤¤à¤®à¥‡à¤¶ फलमà¥
8. अषà¥à¤Ÿà¤®à¥‡à¤¶ फलमà¥
9. नवमेश फलमà¥
10. दशमेश फलमà¥
11. à¤à¤•à¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¤¾à¤µà¥‡à¤¶ फल
12. दà¥à¤µà¤¾à¤¦à¤¶ à¤à¤¾à¤µà¥‡à¤¶ फल
लोमश तथा पराशर दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤µà¥‡à¤¶ फल
जहाठतक गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ के à¤à¤¾à¤µà¥‡à¤¶-फत का पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है तो हम देखते हैं कि लोमश सहिता तथा गणेश दतà¥à¤¤ पाठक दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ 'बृहतà¥à¤ªà¤¾à¤°à¤¾à¤¶à¤° होराशासà¥à¤¤à¥à¤°' में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ à¤à¤¾à¤µà¥‡à¤¶ फल पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ मिलते-जà¥à¤²à¤¤à¥‡ हैं अथवा वे à¤à¤• हो हैं जवकि सीताराम à¤à¤¾ तथा आर. संधानमॠदà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ 'बृहतà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤¶à¤° होराशासà¥à¤¤à¥à¤°' में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ पौड़ी à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ है जिसका आà¤à¤¾à¤¸ आगामी पृषà¥à¤ ों में मिल जाà¤à¤—ा।
लगà¥à¤¨à¥‡à¤¶-फलमॠलगà¥à¤¨à¤—तलगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ फलमà¥
लगà¥à¤¨ à¤à¤¾à¤µ में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ लगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ का फल लगà¥à¤¨à¥‡à¤¶à¥‡à¤²à¤¾à¤¨à¤—े जनà¥à¤¤à¥à¤ƒ सà¥à¤¦à¥‡à¤¹à¤ƒ स पराकà¥à¤°à¤®à¥€à¥¤ मनसà¥à¤µà¥€ चातिचाचà¥à¤šà¤²à¥à¤¯à¥Œ दà¥à¤µà¤¿à¤à¤¾à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤°à¤¿à¤—ामà¥à¤¯à¤¸à¥Œà¥¤à¥¤
लगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ लगà¥à¤¨à¤—ें पà¥à¤‚सः सà¥à¤–ी à¤à¥à¤œ पराकà¥à¤°à¤®à¥€à¥¤ मनसà¥à¤µà¥€ चा चालà¥à¤¯à¥‹ दà¥à¤µà¤¿à¤à¤¾à¤°à¥à¤¯à¤¾ परगोऽपिया।।
-०प० हो० समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ गणेशदतà¥à¤¤ पाठक
लगà¥à¤¨à¥‡à¤¶à¥‡ लगà¥à¤¨ देहके à¤à¤¾à¤— à¤à¥à¤œ विकà¥à¤°à¤®à¥€à¥¤ मनसà¥à¤µà¥€ चंचलशà¥à¤šà¥ˆà¤µ दà¥à¤µà¤¿à¤à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ परगोऽपिवा।।
उ.प.हो. समà¥à¤ªà¤¾à¤¦à¤¿à¤¤ सीताराम à¤à¤¾ तथा आर०संधानमॠपदि लानेश लान में हो तो जातक की देहसà¥à¤–ी हो। यह सà¥à¤–ी तथा पराकà¥à¤°à¤®à¥€ होगा। यह मेधावी किनà¥à¤¤à¥ चंचल चितà¥à¤¤à¤µà¤¾à¤¨ होगा। उसकी दो पतà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤ होंगी, फिर à¤à¥€ वह परसà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤—ामी होगा।
टिपà¥à¤ªà¤£à¥€: यदि लगà¥à¤¨ में बलवान लगà¥à¤¨à¥‡à¤¶ हो तो वह जातक को पराकà¥à¤°à¤®à¥€, निडर,
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