Aayushya Vichar By Krishna Kumar [AP]
Description
विवरण
बालारिषà¥à¤Ÿ योग आयà¥à¤·à¥à¤¯ विचार या आयॠके योग (बृहत पाराशर होरा शासà¥à¤¤à¥à¤° के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°) आयà¥à¤°à¥à¤¦à¤¯ (आयॠगणना)
दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ खंड : निरà¥à¤¯à¤¾à¤£ विचार
पà¥à¤°à¤¥à¤® 28 कà¥à¤‚डलियों का आयà¥à¤·à¥à¤¯
कà¥à¤‚डली संखà¥à¤¯à¤¾ 29 से 50 तक का विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ कà¥à¤‚डली संखà¥à¤¯à¤¾ 81 से 100 तक
कà¥à¤‚डली संखà¥à¤¯à¤¾ 51 से 80 तक
(अषà¥à¤Ÿà¤®à¤¾à¤‚श व नवमांश कà¥à¤‚डली विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ सहित)
कà¥à¤‚डली संखà¥à¤¯à¤¾ 101 से 120 तक
कà¥à¤‚डली संखà¥à¤¯à¤¾ 121 से 144 तक (सांखà¥à¤¯à¤¿à¤•à¥€ विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£)
कà¥à¤‚डली संखà¥à¤¯à¤¾ (145 से 160 तक)
मृतà¥à¤¯à¥ दशा विचार गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ की मारकता
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आपà¥à¤·à¥à¤¯ विचार या संपà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¯ मनà¥à¤·à¥à¤¯ की जीवन अवधि को जानने की रोचक विधि है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ परिषद दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ आयोजित जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· विशारद के पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ पर-1 का यह पà¥à¤°à¤¥à¤® à¤à¤¾à¤— है।
इसमें आयॠका वरà¥à¤—ीकरण, दीरà¥à¤˜à¤¾à¤¯à¥, मà¥à¤–à¥à¤¯ आयॠका अलà¥à¤ªà¤¾à¤¯à¥ होने के योग, मारक गà¥à¤°à¤¹ की पहचान, बालारिषà¥à¤Ÿ व बालारिषà¥à¤Ÿ à¤à¤‚ग योग तथा आयॠगणना की विविध विधियों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ शामिल है। छातà¥à¤°à¥‹à¤‚ को सूचित किया जाता है कि आयॠगणना मृतà¥à¤¯à¥ समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¥€ मिवà¥à¤¯à¤¾ à¤à¤¯ को दूर करने के लिठतो ठीक है किनà¥à¤¤à¥ इसे फांसी के आदेश सरीखा मान लेना
बड़ी à¤à¥‚ल होगी। कारण-शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में मृतà¥à¤¯à¥ का अरà¥à¤¥ अपमान, अपयश या मृतà¥à¤¯à¥ तà¥à¤²à¥à¤¯
कृषà¥à¤£ माना जाता है। मेरे मितà¥à¤° करà¥à¤¨à¤² राजकà¥à¤®à¤¾à¤° व शà¥à¤°à¥€ हरीश आहूजा ने à¤à¤• दिन विचार किया कि संसार में इतने लोग मरते हैं। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ न à¤à¤• सैमà¥à¤ªà¤¤ बनाकर विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤£ से जानने
का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ करें कि किस दिशा-मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ में मारक शकà¥à¤¤à¤¿ अधिक है। परिणामों में कोई विशेष रà¥à¤à¤¾à¤¨ नहीं दीख पड़ा। बाद में सरà¥à¤µà¥‡ की धोड़ा अधिक सपन करने पर जो कà¥à¤› सामने आया, यह आपके समà¥à¤®à¥à¤– है।
समाज में कà¥à¤°à¥‚र गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ को लेकर जो अनिषà¥à¤Ÿ की आशंका है उसे दूर करना हो
इस कृति का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ है। यदि समय विपरीत हो तो बà¥à¤ª, गà¥à¤°à¥ और शà¥à¤•à¥à¤° सरीखे शà¥à¤ गà¥à¤°à¤¹ à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¬à¤² मारक बन कर मृतà¥à¤¯à¥ दिया करते हैं। इस नशà¥à¤µà¤° संसार में हरि à¤à¤œà¤¨ ही बस à¤à¤• सार बसà¥à¤¤à¥ है। "à¤à¤œ गोविनà¥à¤¦à¤®à¥
मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾." आदि गà¥à¤°à¥ शंकराचारà¥à¤¯ की यह उकà¥à¤¤à¤¿ इस अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ में चरितारà¥à¤¯ हà¥à¤ˆ है। संसà¥à¤¥à¤¾à¤¨ से जà¥à¤¡à¤¼à¥‡ छातà¥à¤° प जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को अधिकाधिक कà¥à¤‚डलियों मिल सके इस कारण विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥‹à¤‚ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कà¥à¤‚डलियाठयहां à¤à¤•à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ हà¥à¤ˆ हैं इनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ कलà¥à¤ªà¤¿à¤¤ मानकर चितà¥à¤° परीकà¥à¤·à¤£ करना, फल कौन कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ को अधिक सही व सटीक बनाना इस कृति का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ है।
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