पितृदोष PEERA MUKTI
Description
लेखकीय
हाà¤, पितर होते हैं
यदि हम पितरों को मानते हैं, तो पितृदोष को à¤à¥€ सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करना पड़ेगा। पितरों की मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ नई नहीं है। वैदिककाल से ही पितरों की पूजा अरà¥à¤šà¤¨à¤¾ और पतà¥à¤° की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ रही है। वैदिक यà¥à¤— के पकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ पौराणिक काल में पितरों की उपासना की परमà¥à¤ªà¤°à¤¾ बढ़ी है और इससे समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ नये तथà¥à¤¯ हिनà¥à¤¦à¥‚ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ में समावेशित हà¥à¤ हैं जब हम पितरों के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करते हैं, तो à¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में पितृदोष कोरी कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ कैसे हो सकता है? पितृदोष से तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ होता है, पितरों को असनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ से अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ पितर संतà¥à¤·à¥à¤Ÿ à¤à¥Œà¤° अपà¥à¤°à¤¸à¤¾ होंगे, तो अपने परिजनों को कषà¥à¤Ÿ à¤à¤µà¤‚ पीड़ा देंगे अधया उनके अहित की परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ करेंगे, यही पितृदोष है।
पितृदोष कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ होता है, इससे कà¥à¤¯à¤¾ नà¥à¤•à¤¸à¤¾à¤¨ हो सकता है, पितृदोष निवारण हेतॠकिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के उपाय करने चाहिये, à¤à¤¸à¥‡ पà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में आपको मिलेंगे। पितृदोष और इसके पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करने के लिये अनेक उदाहरण बताये गये हैं, जो किसी न किसी रूप से लोगों की परेशानी का कारण बने हà¥à¤ थे। इन कारणों को पढ़ लेने के बाद आपको सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ हो जायेगा कि आखिर पितृदोष इतना कषà¥à¤Ÿà¤•à¤¾à¤°à¤• कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ होता है? पितृदोष : पीड़ा मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के उपाय पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के लेखन के दौरान मेरी मà¥à¤²à¤¾à¤•à¤¾à¤¤ पितृदोष
से अनेक वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के साथ-साथ à¤à¤¸à¥‡ अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ से à¤à¥€ हà¥à¤ˆ जिनके कारण मैं पितरों के वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प को समठपाया। अपनी पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• ऊपरी बाधा : पीड़ा मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿ के दà¥à¤°à¥à¤²à¤ उपाय में पितृदोष और पितरों से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ वरà¥à¤£à¤¨ को लिखने के पकà¥à¤·à¤¾à¤¤à¥ में इस विषय को गहनता के साथ समà¤à¤¨à¤¾ चाहता था। पितरों के सà¥à¤µà¤°à¥‚प को लेकर à¤à¥€ मन में अनेक पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ थे। ऊपरी बाधा.. पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के विषयों पर चरà¥à¤šà¤¾ के समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ में à¤à¤• दिन जब मेरो बारा देवकà¥à¤®à¤¾à¤° कोराडी जो से हो रही थी, तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने मà¥à¤à¥‡ बताया कि उपरोकà¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• में जो पितरों के लिये उशिकà¥à¤·à¤¿à¤¤ किया है, यह अचà¥à¤›à¤¾ है, परनà¥à¤¤à¥ उसमें पूरà¥à¤£à¤¤à¤¾ नहीं है, विशेष रूप से फितरों के सà¥à¤µà¤°à¥‚प से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ तथà¥à¤¯ नहीं हैं। कौराड़ जी जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· और अधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤® विषय के परम विधान हैं, जो शà¥à¤°à¥€à¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾ साधक होने के साथ हो मेरे आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• गà¥à¤°à¥ शà¥à¤°à¥€à¤®à¤¦à¤£à¥à¤¡à¥€ सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ जोगेनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾à¤¶à¥à¤°à¤® जी के गà¥à¤°à¥ à¤à¤¾à¤ˆ à¤à¥€ हैं। किराड़ जौ ने मà¥à¤à¥‡ इस बात के लिये पà¥à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ किया कि मैं शीघà¥à¤° ही पितृदोष और पितरों से समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§à¤¿à¤¤ à¤à¤¸à¥€ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का लेखन करे, जिसे पितरों और उनको असनà¥à¤¤à¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ से उतà¥à¤ªà¤¾à¤¤ पितृदोष को पाठक पूरà¥à¤£ रूप से समठसकें कौराडू जो दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ दी गई पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤à¤¿à¤• जानकारी से मैंने इस विषय पर गहन चिनà¥à¤¤à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤®à¥à¤ किया। मैंने इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के लेखन की चरà¥à¤šà¤¾ इस विषय के अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ में की तो उनà¥à¤¹à¥‹à¤¨à¤¿ मà¥à¤à¥‡ पà¥à¤°à¥Œà¤¸à¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ लेखन का परामरà¥à¤¶ दिया। सपशी उनाने पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• समà¥à¤à¤µ सहयोग à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया। मà¥à¤à¥‡ इस बात की पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ है कि इस पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• के लेखन में अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने मेरा न केवल मारà¥à¤—दरà¥à¤¶à¤¨ किया अपितॠपूरà¥à¤£ सहयोग à¤à¥€ दिया।
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