पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨-रहसà¥à¤¯ AP
Description
पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨-रहसà¥à¤¯à¤…पनी बात
जब हम चारों और दà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ दौड़ाते हैं तो पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ से सà¥à¤µà¤¯à¤‚ को पिरा हà¥à¤† पाते हैं किसी को परीकà¥à¤·à¤¾ में उतà¥à¤¤à¥€à¤°à¥à¤£ होने की चिनà¥à¤¤à¤¾ है तो किसी को मन चाहे विषय या संसà¥à¤¥à¤¾ में पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ या admission माने की चिनà¥à¤¤à¤¾ है। कोई नौकरी को लेकर परेशान है तो कोई 30 वरà¥à¤· दशहरा के समीप पहà¥à¤‚ची कनà¥à¤¯à¤¾ के विवाह के लिठचिनà¥à¤¤à¤¿à¤¤ है चिनà¥à¤¤à¤¾ का नाम रूप बदल सकता है किनà¥à¤¤à¥ चिनà¥à¤¤à¤¾ का जोबन से चोली दामन जैसा साथ है। ये चिनà¥à¤¤à¤¾ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के समीप पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ बन कर पहà¥à¤‚चती है। चिनà¥à¤¤à¤¾ का समाधान जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¥€ के लिठà¤à¤• चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ है तो शायद उसको जà¥à¤žà¤¾à¤¨ और अनà¥à¤à¤µ की परीकà¥à¤·à¤¾ à¤à¥€
है।
पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥à¤¯ संदरà¥à¤ गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ में सà¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¥‹à¤‚ के उतà¥à¤¤à¤° खोजने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ हà¥à¤† है। पंडित मà¥à¤•à¥à¤¨à¥à¤¦ बलà¥à¤²à¤ मिशà¥à¤° ने अपने गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ फलित मारà¥à¤¤à¤£à¥à¤¡ का समापन पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ फलाधà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से किया है।
महरà¥à¤·à¤¿ पराशर ने à¤à¥€ बृहतà¥à¤ªà¤°à¤¾à¤¶à¤° होरा शासà¥à¤¤à¥à¤° में शांति से पूरà¥à¤µ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ को 47 शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ में समेटा है।
उतà¥à¤¤à¤° कालामृत में कालिदास ने दशाफल के बाद पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ सर को सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ दिया है। पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ शासà¥à¤¤à¥à¤° पर अनेक विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ ने टीका और वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ की है उदाहरण के लिठपà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ विदà¥à¤¯à¤¾ बादरायण मà¥à¤¨à¤¿ की इस रचना पर à¤à¤Ÿà¥à¤Ÿà¥‹à¤¤à¥à¤ªà¤² की संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ है पटà¥à¤ªà¤‚चाशिका ऋषि वराहमिहिर के पà¥à¤¤à¥à¤° पृथॠरोस की यह रचना मातà¥à¤° 56 शà¥à¤²à¥‹à¤•à¥‹à¤‚ में बनी है। इस पर सà¥à¤¬à¥à¤°à¤®à¤£à¥à¤¯à¤® शासà¥à¤¤à¥à¤° की अंगà¥à¤°à¥‡à¤œà¥€ à¤à¤¾à¤·à¤¾ में सà¥à¤¨à¥à¤¦à¤° टीका हà¥à¤ˆ
है।
आया सपà¥à¤¤à¤¤à¤¿ ऋषि उतà¥à¤ªà¤² ने 70 छनà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में दसवीं सदी में यह बहॠपà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ रचना लिखी
पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨à¤¤à¤‚तà¥à¤° आचारà¥à¤¯ मीलकंठने अपने बहà¥à¤®à¥‚लà¥à¤¯ पà¥à¤° ताजिक नीलकंठी में वरà¥à¤· संतà¥à¤° के साथ इसे समाहित किया है। यह लगà¤à¤— 1587 ई० की रखना है इस पर डाकà¥à¤Ÿà¤° बी०यो रमण की टीका उपलबà¥à¤§ है पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ शिरोमणि ओ वालà¥à¤®à¥€à¤•à¤¿ तà¥à¤°à¤¿à¤ªà¤¾à¤ ी के सà¥à¤¯à¥‹à¤—à¥à¤¯ पà¥à¤¤à¥à¤° आचारà¥à¤¯ रà¥à¤¦à¥à¤°à¤®à¤£à¤¿ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ T8यां शताबà¥à¤¦à¥€ के अंत में लिखी रचना है।
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