लाल किताब (1941) तीसरा हिसà¥à¤¸à¤¾
Description
à¤à¥‚मिका
मानवीय जà¥à¤žà¤¾à¤¨ विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की आदि पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• वेद' की वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° परक वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾ के लिठà¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ मनीषा ने जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· निरà¥à¤•à¥à¤¤ कलà¥à¤ª शिकà¥à¤·à¤¾ वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ और छनà¥à¤¦ नामक जिन छ: वेदाङà¥à¤—ों की रचना की उसमें जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· को वेद का नेतà¥à¤° कहा गया "जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤·à¤‚ चकà¥à¤·à¥à¤ƒ वेदानां"। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° कान, नाक, हाथ, पैर आदि अंग रहते हà¥à¤ à¤à¥€ नेतà¥à¤°à¤¹à¥€à¤¨ शरीर से सांसारिक कारà¥à¤¯-वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° का संपादन कठिनता से ही हो पाता है उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· के बिना वेद विहित कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को करना लगà¤à¤— असमà¥à¤à¤µ हो जाता है। अनà¥à¤¯ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ अपेकà¥à¤·à¤¾ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤· शासà¥à¤¤à¥à¤° की विशेषता यह है कि इसमें तरà¥à¤•-वितरà¥à¤• अथवा लमà¥à¤¬à¥€ चौड़ी वà¥à¤¯à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤“ं के सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर सिदà¥à¤§à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· दैनिक घटनाओं में उतारा जाता है। वसà¥à¤¤à¥à¤¤: यह शासà¥à¤¤à¥à¤° जीवन के सà¥à¤– दà¥à¤–, पà¥à¤°à¤—ति-अवगति, लाà¤-हानि, यश-अपयश आदि समसà¥à¤¤ पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤•à¥à¤· à¤à¤µà¤‚ परोकà¥à¤· रहसà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का विवेचन करके मनà¥à¤·à¥à¤¯ के à¤à¤¾à¤µà¥€ जीवन के बारे में ठीक उसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° बोध कराता है जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° दीपक अनà¥à¤§à¤•à¤¾à¤° में रखी सà¤à¥€ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं को और उनकी सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को साफ-साफ दिखलाता है।
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